बेसिक शिक्षा परिषद ( Basic Shiksha Parishad )
Hello, readers! यहाँ आप बेसिक शिक्षा परिषद ( Basic Shiksha Parishad ) द्वारा संचालित, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में लागू, पाठ्यक्रम से संबंधित विषयों पर आधारित अभ्यास कार्य पत्रक, अतिरिक्त प्रश्न एवं पाठ्य पुस्तकों में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद (Uttar Pradesh Basic Shiksha Parishad) उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन स्थापित एक संगठन है जो प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न कार्यों का प्रबंधन करता है। यह संगठन उत्तर प्रदेश में कुल 1,14,000 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के लिए जिम्मेदार है।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद (UP Basic Shiksha Parishad) की शुरुआत 1972 में हुई थी। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य था कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति के लिए अधिक से अधिक शिक्षा प्रदान की जाए। 1975 में बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा का एकीकरण कर दिया गया। वर्ष 1985 में बेसिक शिक्षा को अधिक प्रभावी एवं गतिशील बनाने के लिए पृथक से बेसिक शिक्षा निदेशालय की स्थापना की गयी।
इस संगठन का मुख्यालय लखनऊ में स्थित है और यह प्रदेश के समस्त जिलों में शिक्षा के कार्यक्रमों का निर्देशन करता है। यह संगठन विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करता है।
इस संगठन के अंतर्गत बच्चों की शिक्षा से संबंधित कई योजनाएं चलाई जाती हैं जैसे शिक्षा सुधार योजना, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद से संबंधित योजनाएं और सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के विकास से संबंधित योजनाएं।
यह संगठन प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है ताकि उत्तर प्रदेश के बच्चों को बेहतर शिक्षा की सुविधा मिल सके। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है ताकि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में काम करने वाले शिक्षकों (primary teacher) को नवीनतम शिक्षण तकनीकों और मेथडों का पता चल सके।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद (UP Basic Shiksha Parishad) ने उत्तर प्रदेश के बच्चों के लिए उचित शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई उपलब्धियों को हासिल किया है। इसके अंतर्गत छात्रों के लिए नि: शुल्क शिक्षा योजना, छात्राओं को मुफ्त बोर्ड परीक्षा देने की सुविधा, स्कूलों के विकास से संबंधित योजनाएं और बच्चों के लिए नि: शुल्क खाद्य योजना जैसी योजनाएं शामिल हैं।
संविधान के अनुच्छेद – 45 में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के अन्तर्गत यह व्यवस्था बनायी गयी थी कि संविधान को अंगीकृत करके 10 वर्षों के अन्दर 6-14 वय वर्ग के सभी बालक/बालिकाओं के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की जायेगी। वर्ष 1986 में जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी थी तब से अब तक विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है।
राज्य सरकार द्वारा समग्र शिक्षा अभियान योजनान्तर्गत 6-14 वर्ष के सभी बच्चों को कक्षा-1 से 8 तक की शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करते हुए विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है। निःशुल्क और बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक 300 की आबादी और 01 कि0मी0 की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय की सुविधा तथा 03 कि0मी0 की दूरी एवं 800 आबादी पर 01 उच्च प्राथमिक विद्यालय की स्थापना का मानक निर्धारित करते हुए विद्यालय की स्थापना की गयी हैं।
Table of Contents
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यार्थियों के लिए पाठ्य सामग्री (Study Material for Students of Basic Shiksha Parishad )
प्रारंभिक भाषा – प्राथमिक कक्षा
👉🖱️ Puzzle
Class – 05
Mathematics (गणित) | हिंदी |
‘प्रकृति’ पर्यावरण कक्षा 5 |
Class – 04
Mathematics (गणित) | |
👉🖱️ बेसिक शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण वेबसाइट
बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा चलाए जा रहे प्रमुख कार्यक्रम
(1) निपुण भारत मिशन:
समझ और संख्यात्मकता के साथ पढ़ने में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय पहल (निपुण भारत) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में प्रत्येक बच्चा अनिवार्य रूप से 2026-27 तक ग्रेड 3 के अंत तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त कर ले।
यह मिशन समग्र शिक्षा की केंद्र प्रायोजित योजना के तत्वावधान में लॉन्च किया गया है। यह योजना स्कूली शिक्षा के मूलभूत वर्षों में बच्चों को स्कूल में बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेगा। साथ ही, शिक्षक क्षमता निर्माण; छात्र और शिक्षक संसाधनों / शिक्षण सामग्री का विकास; और सीखने के परिणामों को प्राप्त करने में प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर भी नज़र रखेगा ।
निपुण भारत मिशन के प्रमुख उद्देश्य: 👉🖱️ निपुण भारत लक्ष्य get pdf
- बच्चों को संख्या, माप और आकार के क्षेत्र में तर्क को समझाने के लिए; और उन्हें संख्यात्मकता और स्थानिक समझ कौशल के माध्यम से समस्या का समाधान कर सक्षम बनाना ।
- बच्चों की परिचित/घरेलू/मातृभाषा या भाषाओं में उच्च गुणवत्ता और सांस्कृतिक रूप शिक्षण सामग्री की उपलब्धता और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना ।
- शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों, शैक्षणिक संसाधन व्यक्तियों और शिक्षा प्रशासकों के निरंतर क्षमता निर्माण पर ध्यान देना |
- आजीवन सीखने की एक मजबूत नींव बनाने के लिए सभी हितधारकों अर्थात शिक्षकों, अभिभावकों, छात्रों और नीति निर्माताओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना |
- पोर्टफोलियो, समूह और सहयोगात्मक कार्य, परियोजना कार्य, प्रश्नोत्तरी, रोल प्ले, खेल, मौखिक प्रस्तुतीकरण, लघु परीक्षण आदि के माध्यम से सीखने के लिए मूल्यांकन सुनिश्चित करना ।
- सभी छात्रों के सीखने के स्तर पर नज़र रखना |
- बच्चों को सतत पठन और लेखन कौशल की समझ के साथ प्रेरित करना, स्वतंत्र बनाना और लेखन शैली में सक्षम बनाना |
- खेल, खोज और गतिविधि-आधारित शिक्षाशास्त्र को शामिल करके, बच्चों को दैनिक जीवन स्थितियों से जोड़कर और बच्चों की घरेलू भाषाओं को औपचारिक रूप से शामिल करके कक्षा में समावेशी वातावरण सुनिश्चित करना।
(2) स्कूल चलो अभियान – 2022
भारत के संविधान में 6 से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है, जिसकी सम्प्राप्ति के लिए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित कक्षा-1 से 8 तक के विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के अधिकाधिक नामांकन को प्रोत्साहित किये जाने के उद्देश्य से “स्कूल चलो अभियान” का सफल आयोजन विगत वर्षों से किया जा रहा है। मा० मुख्यमंत्री जी एवं मा० बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा “स्कूल चलो अभियान-2022” का शुभारम्भ दिनांक 04-04-2022 को जनपद श्रावस्ती से किया गया।
(3) सामुदायिक सहभागिता : विद्यालय प्रबन्ध समिति का गठन
निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 21 के अन्तर्गत प्रदेश के समस्त परिषदीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक, कम्पोजिट एवं कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में एक ’विद्यालय प्रबन्ध समिति’ गठित करने का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के अनुसार समिति में कुल 15 सदस्य जिनमे से 11 सदस्य विद्यालय में प्रवेश प्राप्त बच्चों के माता-पिता या अभिभावक और चार नामित सदस्य होते हैं। समिति के कुल सदस्यों में से कम से कम 50 प्रतिशत महिलाओं का होना अनिवार्य है।
(4) शारदा कार्यक्रम (स्कूल हर दिन आयें)
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम- 2009 के अन्तर्गत 06-14 आयु वर्ग के समस्त बालक-बालिकाओं को निःशुल्क प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। 5+ से 14 आयु वर्ग के ऐसे बच्चे जिन्हें किसी विद्यालय में नामांकित नहीं किया गया है (आउट ऑफ स्कूल) अथवा नामांकन के उपरान्त वे अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण नहीं कर सके हैं उनका चिन्हीकरण करते हुए नामांकन आयुसंगत कक्षा में कराया जायेगा।
बच्चों के चिन्हीकरण की प्रक्रिया को सुस्पष्ट करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आउट ऑफ स्कूल बच्चे को परिभाषित किया गया है कि 06 से 14 वर्ष की आयु का कोई बालक/बालिका बिना विद्यालय का माना जायेगा, यदि वह किसी प्रारम्भिक विद्यालय में कभी नामांकित न किया गया हो/की गयी हो अथवा यदि नामांकन के पश्चात् अनुपस्थित होने के कारणों की पूर्व सूचना के बिना विद्यालय से निरन्तर 45 दिन या उससे अधिक अवधि में अनुपस्थित रहा / रही हो।
(6) बालिका शिक्षा (जेण्डर इक्विटी)
बालिकाओं की शिक्षा, जागरूकता एवं सशक्तिकरण के लिए कटिबद्धता को सुनिश्चित करने हेतु व्यापक पहल की जा रही है। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में रानी लक्ष्मी बाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन गतिमान है। यूनिसेफ तथा निमहान्स के सहयोग से 20500 शिक्षक/शिक्षिकाओं का जेण्डर संवेदीकरण प्रशिक्षण का आयोजन।
(7) समेकित शिक्षा
समेकित शिक्षा के अन्तर्गत विशिष्ट आवश्यकता वाले (दिव्यांग) बच्चों को समावेशी विद्यालयों में अतिरिक्त सपोर्ट प्रदान कर शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ा जाता है।
‘समर्थ’ तकनीकी प्रणाली के माध्यम से बच्चों का चिन्हांकन एवं नामांकन, सुगम्य वर्कशीट का विकास, सहायक उपकरण एवं टी0एल0एम0, ब्रेल पाठ्य-पुस्तकों का वितरण, सहायक उपस्कर/उपकरण का वितरण, स्पेशल एजूकेटर्स (इटीनरेन्ट/रिसोर्स टीचर्स) और साथ ही दिव्यांग छात्राओं को स्टाइपेण्ड उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था है।
लर्निंग प्लेटफॉर्म : दीक्षा (DIKSHA) : 👉🖱 Link to get DIKSHA APP
दीक्षा (Digital Infrastructure for Knowledge Sharing), स्कूली शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय मंच है, जो शिक्षा मंत्रालय की राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) की एक पहल है। दीक्षा को खुद भारत के माननीय उपराष्ट्रपति जी द्वारा 5 सितम्बर, 2017 को शुरू किया गया था और तब से इसे 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अपनाया गया है, और साथ ही साथ, सी.बी.एस.ई. और एन.सी.ई.आर.टी. सहित करोड़ों शिक्षार्थियों और शिक्षकों द्वारा भी अपनाया गया है।
निपुण लक्ष्य ऐप (NIPUN Lakshya App) : 👉🖱 Link to get NIPUN Lakshya App
निपुण लक्ष्य ऐप (NIPUN Lakshya App) बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विकसित एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। निपुण लक्ष्य एप के माध्यम से जाँचा जाएगा कि बच्चे अब तक कितने दक्ष हुए हैं और किस क्षेत्र में शिक्षक व अभिभावकों को अभी मेहनत करने की जरूरत है। यहाँ हम भाषा और गणित के लिए कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों का आकलन कर सकते है।
Basic Shiksha Vibhag official website link Official website of Department of Basic Education,Government of Uttar Pradesh, India (up.gov.in)
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