Vimal Indu ki Vishal Kirne class 5 Solution
विमल इन्दु की विशाल किरणें (कविता)
विमल इन्दु की विशाल किरणें, प्रकाश तेरा बता रही हैं। अनादि तेरी अन्नत माया जगत् को लीला दिखा रही हैं।। प्रसार तेरी दया का कितना ये देखना हो तो देखे सागर। तेरी प्रशंसा का राग प्यारे तरंगमालाएँ गा रही हैं।। तुम्हारा स्मित हो जिसे निरखना वो देख सकता है चंद्रिका को। तुम्हारे हँसने की धुन में नदियाँ निनाद करती ही जा रही हैं।। जो तेरी होवे दया दयानिधि, तो पूर्ण होता ही है मनोरथ। सभी ये कहते पुकार करके यही तो आशा दिला रही है।
Table of Contents
शब्दार्थ
शब्द | अर्थ |
---|---|
विमल | साफ, दाग रहित |
इंदु | चन्द्रमा |
अनादि | जिसका कोई आरम्भ न हो, हमेशा रहने वाला |
अनन्त | जिसका अन्त न हो |
लीला | खेल, दिव्य नाटक, चमत्कार |
प्रसार | फैलाव, विस्तार |
तरंगमालाएँ | लहरों के समूह |
स्मित | मन्दहास, मुसकान |
निरखना | अवलोकन करना, परखना |
चन्द्रिका | चाँदनी |
निनाद | गुंजार, ध्वनि |
दयानिधि | दया का भंडार, ईश्वर |
मनोरथ | अभिलाषा, इच्छा, मन की कामना |
जयशंकर प्रसाद जी (30 जनवरी 1889- 15 नवंबर 1937), हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे। उन्होंने ‘कामायनी’ जैसे विश्व विख्यात महाकाव्य की रचना की। इन्होंने अनेक ऐतिहासिक नाटक को उपन्यास और कहानियों की रचना भी कीI चंद्रगुप्त, कंकाल, तितली आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
” विमल इंदु की विशाल किरणें ” कविता का संदर्भ सहित अर्थ
पद्य : विमल इंदु की …………………………………. दिखा रही है ।
सन्दर्भ :– प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘ वाटिका ‘ के ‘ विमल इंदु की विशाल किरणें ‘ पाठ से ली गयी है । इस कविता के रचयिता श्री जयशंकर प्रसाद जी हैं ।
प्रसंग :– प्रस्तुत कविता ‘ विमल इंदु की विशाल किरणें ‘ में कवि ने ईश्वर की महिमा का गुणगान किया है ।
भावार्थ :– उपरलिखित कविता में श्री जयशंकर प्रसाद जी ईश्वर की महिमा का गुणगान करते हुए कहते हैं कि – निर्मल ( साफ) चन्द्रमा की विशाल किरणें अर्थात चाँदनी, ईश्वर के प्रकाश को प्रमाणित कर रही हैं । ईश्वर की माया जिसका ना कोई आरंभ है और ना ही कोई अंत हैं । यह इस संसार को ईश्वर की लीला अर्थात चमत्कार दिखा रही है ।
पद्य : प्रसार तेरी ——————————— गा रही है ।
भावार्थ :– कवि जयशंकर प्रसाद जी कहते हैं कि ईश्वर बहुत दयालु है, जिस प्रकार सागर का विस्तार बहुत अधिक होता है ठीक उसी प्रकार ईश्वर की दया का विस्तार भी बहुत अधिक है। ईश्वर करुणा के सागर हैं । सागर में उठने वाली बहुत सी लहरें, मानो ईश्वर की प्रशंसा में गीत गा रही हैं ।
पद्य : तुम्हारा स्मित ——––———–––―――जा रही हैं।
भावार्थ :– कवि जयशंकर प्रसाद जी कहते हैं कि यदि कोई ईश्वर की मुस्कान का अवलोकन करना चाहता हो तो वो उसे चन्द्रमा की चाँदनी में देख सकता है। नदियों के प्रवाह से होने वाली कल-कल की ध्वनि में मानो ईश्वर के हँसने की ध्वनि सुनाई दे रही है ।
पद्य : जो तेरी —-–——––————————दिला रही है ।
भावार्थ :– कवि जयशंकर प्रसाद जी कहते हैं कि – हे दया के निधि ‘ईश्वर’ जिस पर आपकी कृपा हो जाती है , उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं । प्रकृति में पायी जाने सभी जैसे चन्द्रमा, समुद्र तथा तरँगमलायें, आदि ईश्वर की महिमा का गुणगान करके लोगों को आशान्वित कर रही हैं ।
विमल इंदु की विशाल किरणें (Vimal Indu ki Vishal Kirne) पाठ्य पुस्तक अभ्यास कार्य
प्रश्न 1. बोध प्रश्न : उत्तर लिखिए
( क ) ईश्वर की महिमा प्रकृति के किन-किन रूपों में दिखाई दे रही है ? दिए गए उत्तरों को सही क्रम में लिखिए –
ईश्वर का प्रकाश – चाँदनी के रूप में
उसकी दया का प्रसार – नदियों के निनाद में
उसकी प्रसंशा के राग – विमल इंदु की विशाल किरणों के रूप में
ईश्वर का मंद हास – सागर की लहरों के गान में
ईश्वर के हंसने की धुन – सागर के रूप में
उत्तर: सही क्रम में लिखकर
- ईश्वर का प्रकाश – विमल इंदु की विशाल किरणों के रूप में
- उसकी दया का प्रसार – सागर के रूप में
- उसकी प्रसंशा के राग – सागर की लहरों के गान में
- ईश्वर का मंद हास – चाँदनी के रूप में
- ईश्वर के हंसने की धुन – नदियों के निनाद में
( ख ) परमात्मा को ‘दयानिधे’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर: परमात्मा संसार में सबसे अधिक दयालु हैं और वो सब पर दया करते हैं, इसलिए परमात्मा को दयानिधे कहा गया है ।
( ग ) तरंगमालाएँ क्या कर रही हैं ?
उत्तर: – तरंगमालाएँ ईश्वर की प्रसंशा के गीत गा रही हैं।
( घ ) प्रभु की दया की तुलना सागर से क्यों की गयी है ?
उत्तर : जिस प्रकार सागर का फैलाव अनंत (बहुत अधिक) है उसी प्रकार प्रभु की दया का फैलाव (प्रसार) भी अनंत है ।
प्रश्न 2. पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए –
( क ) तुम्हारे हँसने के धुन में नदियाँ , निनाद करती ही जा रही हैं –
उत्तर : ईश्वर के हँसने की ध्वनि , नदियों के लगातार कल-कल करने की ध्वनियों में सुनाई दे रही है।
( ख ) तेरी प्रशंसा का राग प्यारे, तरंगमालाएँ गा रही हैं।
उत्तर : ईश्वर की प्रशंसा के गीत( गुणगान), जल की लहरों का समूह कर रही हैं।
प्रश्न 3. सोच -विचार : बताइए –
( क ) प्रकृति द्वारा निर्मित दस चीजों के नाम –
उत्तर : अन्न, जल ,पेड़-पौधे , जीव-जंतु , हवा, नदियां , पहाड़ , समुद्र , पक्षी ,सूर्य ।
( ख ) मानव द्वारा निर्मित बीस चीजों के नाम –
उत्तर : रेलगाड़ी , सायकिल, कुर्सी , मेज , कार , बस , मोटर सायकिल , ट्रक , मकान , जूता , चप्पल , मोबाइल, टी.वी. , वातानुकूलित, वाशिंग मशीन, पंखा , रेडियो , बल्ब, पहिया, हवाई जहाज ।
प्रश्न 4. भाषा के रंग –
( क ) नीचे लिखे शब्दों के तुकांत शब्द लिखिए –
जैसे- सागर : गागर
- इंदु : बिंदु
- धुन : घुन
- माया : काया
- लीला : पीला
- मिला : किला
( ख ) नीचे दिए गए शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए –
जैसे – इंदु : चन्द्रमा
- प्रकाश : रोशनी
- सागर : समुद्र
- मनोरथ : अभिलाषा
- जगत : संसार
- तरंग : लहरें
विमल इंदु की विशाल किरणें – कार्यपुस्तिका हल (Vimal Indu ki Vishal Kirne WORKBOOK SOLUTION)
- पंक्ति को पूरा करिए –
विमल इन्दु की विशाल किरणें, प्रकाश तेरा बता रही हैं। अनादि तेरी अन्नत माया जगत् को लीला दिखा रही हैं।। प्रसार तेरी दया का कितना ये देखना हो तो देखे सागर। तेरी प्रशंसा का राग प्यारे तरंगमालाएँ गा रही हैं।।
2. नीचे दिए गए शब्दों के अर्थ सरल भाषा में लिखिए –
शब्द | अर्थ |
---|---|
विमल | स्वच्छ |
इंदु | चंद्रमा |
जगत | संसार |
अनादि | जिसका कोई आरंभ न हो |
अनंत | जिसका कोई अंत न हो |
3. विलोम शब्द लिखिए –
शब्द | विलोम |
---|---|
अंत | आरंभ |
अनादि | आदि |
आशा | निराशा |
प्रसार | संकोच |
प्रकाश | अंधकार |
प्रशंसा | निंदा |
4. वर्तनी शुद्ध करिए –
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
वीमल | विमल |
पूकार | पुकार |
अनादी | अनादि |
नदीयाँ | नदियाँ |
धून | धुन |
- समानार्थी शब्दों का मिलान करिए –
उत्तर: समानार्थी शब्दों को मिलाकर –
इंदु ———- चंद्रमा
प्रकाश ——– उजाला
जगत ———- संसार
तरंग ———- लहर
सागर ——– समुद्र
6. निचे लिखे शब्दों के तुकांत शब्द लिखिए –
सागर | गागर | नागर |
इंदु | बिंदु | |
धुन | सुन | चुन |
माया | काया | साया |
लीला | पीला | नीला |
प्रकाश | तलाश | आकाश |
दया | नया | हया |
जिन शब्दों को संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के हिंदी भाषा में ले लिया गया है उन्हें तत्सम् शब्द कहते हैं। तत्सम् शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं नए तद्भव शब्द कहते हैं।
7. नीचे दिए गए शब्दों में से तद्भव/ तत्सम् की पहचान करके उनके आगे तद्भव/ तत्सम् शब्द लिखिए –
उत्तर: इंदु ——————- तत्सम् शब्द
अनंत —————- तत्सम् शब्द
चाँद —————– तद्भव शब्द
हँसना ————— तद्भव शब्द
चंद्रबिंदु (ँ) लगे शब्दों को अनुनासिक तथा केवल बिंदु (ं) लगे शब्दों को अनुस्वार कहते हैं।
8. नीचे दिए गए शब्दों में अनुनासिक तथा अनुस्वार शब्द को काटकर उनके आगे लिखिए –
उत्तर: इंदु —————— अनुस्वार
अनंत ————– अनुस्वार
हँसना ————- अनुनासिक
नदियाँ ————- अनुनासिक
प्रशंसा ————- अनुस्वार
तरंग ————— अनुस्वार
चाँदनी ————- अनुनासिक
9. दिए गए शब्दों को प्रकृति निर्मित और मानव निर्मित में बाँटिए –
प्रकृति निर्मित | मानव निर्मित |
---|---|
नदी, जंगल, आकाश, फूल, पानी | मेज, अखबार, चाय, पेन, घर |
10. सूर्य से हमें प्रकाश मिलता है। हमें और कहाँ-कहाँ से प्रकाश मिलता है उनके नाम लिखिए –
उत्तर: मोमबत्ती, लालटेन, चंद्रमा, बल्ब आदि।
11 . शब्दों का खेल।
तरंग माला – तरंग, रंग, माला यहाँ ये शब्द आपस में छिपे हैं। नीचे लिखे शब्दों में आप भी छिपे हुए शब्दों को ढूँढिए।
उत्तर: ताजमहल ताज महल
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