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UP ke loknritya / उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य एवं शास्त्रीय नृत्य

उत्तर प्रदेश की संस्कृति (UP ke Sanskriti)

सांस्कृतिक विविधता की दृष्टि से उत्तर प्रदेश एक धनी राज्य रहा है। प्राचीन काल से ही प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे ब्रज, अवध, भोजपुरी, बुंदेलखंड, रुहेलखंड की अपनी अलग संस्कृति और पहचान रही है। उत्तर प्रदेश की संस्कृति के प्रमुख अवयव है – लोक नृत्य, कला, उत्सव, मेले व पर्व आदि।

संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार :

  • स्थापना – उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1957 में संस्कृति विभाग की स्थापना की गई थी।
  • उद्देश्य – पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं कलात्मक रूप से समृद्ध क्षेत्रों का प्रमाणीकरण, अभिलेखीकरण, प्रकाशन एवं संरक्षण करना।
  • संस्कृति विभाग के अंतर्गत निम्नलिखित संस्थाएं कार्य करती हैं,
क्रम सं०प्रमुख संस्थास्थापना वर्ष एवं स्थानसंस्था के उद्देश्य
1भातखंडे संगीत संस्थान15 जुलाई 1926 लखनऊशास्त्रीय संगीत की शिक्षा देना
2राज्य ललित कला अकादमी8 फरवरी 1962 लखनऊकला तथा कलाकारों को प्रोत्साहन देना
3उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी13 नवंबर 1963 लखनऊसंगीत नृत्य नाटक लोक संगीत लोक नाटक की परंपराओं के प्रचार प्रसार संवर्धन एवं परिरक्षण का कार्य करना।
4भारतेंदु नाट्य अकादमीअगस्त 1975 लखनऊनाट्य कला में प्रशिक्षण देना
5अयोध्या शोध संस्थान18 अगस्त 1986 तुलसी स्मारक भवन, अयोध्याअवध की लोक कला, लोक साहित्य एवं इतिहास का संग्रह, संरक्षण एवं अध्ययन करना।
6राष्ट्रीय कथक संस्थान1988–89 लखनऊराष्ट्रीय स्तर पर कत्थक के विभिन्न घरानों की परंपराओं का अभिलेखीकरण, युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहन, वरिष्ठ कलाकारों के संरक्षण एवं नृत्य का संवर्धन है।
7उत्तर प्रदेश उज्जैन विद्या शोध संस्थान1990 लखनऊभारत के विभिन्न भागों में प्रचलित जैन विधाओं का राष्ट्रीय संदर्भ में अध्ययन, शोध तथा जैन तीर्थंकर की सांस्कृतिक महत्व की परंपरा एवं आधारभूत मान्यताओं मानवीय मूल्यों, कला व अवशेषों का विश्लेषण व संरक्षण आदि करना।

* भातखंडे संगीत संस्थान # पंडित विष्णु नारायण भातखंडे के नाम पर # पुराना नाम मैरिस कॉलेज ऑफ हिंदुस्तानी म्यूजिक

उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य (UP ke loknritya)

उत्तर प्रदेश में लोक नृत्य की परंपरा बहुत ही पुरानी रही हैं, शास्त्रीय नृत्य का विकास इसके बाद हुआ है। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र में विभिन्न अवसरों पर लोगों द्वारा लोक नृत्य किया जाता है। उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य (UP ke loknritya) इस प्रकार हैं।

लोक नृत्यसंबंधित क्षेत्रटिप्पणी
शैरा या सैरा नृत्यबुंदेलखंड किसानों द्वारा फसल कटाई के समय
धुरिया नृत्य बुंदेलखंड कुम्हारों द्वारा स्त्री वेश धारण कर किया जाने वाला नृत्य
राई नृत्य (मयूर नृत्य) बुंदेलखंड महिलाओं द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य
पाई डंडा नृत्य बुंदेलखंड गुजरात के डांडिया नृत्य के समान अहिर जाति द्वारा किया जाने वाला नृत्य
देवी नृत्य बुंदेलखंड देवी का रूप धारण कर किया जाने वाला नृत्य
ख्याल नृत्य बुंदेलखंड पुत्र जन्मोत्सव के अवसर पर, रंगीन कागज़ व बाँसो की सहायता से मंदिर बनाकर उसे सिर पर रख कर नृत्य
कार्तिक नृत्य बुंदेलखंड कार्तिक मास में नर्तकों द्वारा श्री कृष्ण तथा गोपी बनकर किया जाने वाला नृत्य
राहुला नृत्य बुंदेलखंड
लठमार दीवारी नृत्यबुंदेलखंड बृज की लट्ठमार होली की तरह, दीपावली के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य
कलाबाजी नृत्य अवध क्षेत्र ‘मोरबाजा’ लेकर कच्ची घोड़ी पर बैठकर किया जाने वाला नृत्य
झूला नृत्य ब्रज क्षेत्रश्रावण मास में मंदिरों में
रास नृत्यब्रज क्षेत्ररासलीला के दौरान
घड़ा नृत्य ब्रज क्षेत्रबैल गाड़ी या रथ के पहिए पर घड़ा रख किया जाने वाला नृत्य
चरकुला नृत्यब्रज क्षेत्रहोली के आसपास, महिलाएं 108 दीपों का चरकुला (पिंजरा) सिर पर रखकर नृत्य करती हैं।
मयूर नृत्यब्रज क्षेत्र मोरपंख से बने विशेष वस्त्र धारण करके
नरसिंह नृत्यब्रज क्षेत्रभगवान नरसिंह द्वारा हिरण्यकशिपु के वध का प्रदर्शन
कठघोडवा नृत्य पूर्वांचल क्षेत्रमांगलिक अवसरों पर कृत्रिम घोड़ी के साथ किया जाने वाला नृत्य
धोबिया नृत्य पूर्वांचल क्षेत्र धोबी समुदाय द्वारा
नटवरी नृत्य पूर्वांचल क्षेत्र अहीर संप्रदाय द्वारा
धींवर नृत्यपूर्वांचल क्षेत्र शुभ अवसरों पर कहार जाति के लोगो द्वारा
छोलिया नृत्य विवाह के अवसर पर राजपूतों द्वारा तलवार व ढाल लेकर किया जाने वाला नृत्य
कर्मा / करमा व शीला नृत्यसोनभद्र व मिर्जापुर खरवार आदिवासी लोगों द्वारा किया जाने वाला नृत्य
छपेली नृत्यउत्तराखंड़
/ हिमाचल प्रदेश
एक हाथ में रुमाल तथा दूसरे हाथ में दर्पण लेकर आध्यात्मिक समुन्नती की कामना के लिए किया जाने वाला नृत्य
UP ke loknritya / उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य

उत्तर प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य (UP ka Shastriya Nritya)

UP ke loknritya / उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य

उत्तर प्रदेश का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य कथक है। कथक का अर्थ है कथा कहते हुए थिरकना। इसका प्रारंभ मंदिर के पुजारियों द्वारा किया गया।

  • अवध के नबाब वाजिद अली शाह के दरबार में इसका विशेष विकास हुआ।
  • कथक नृत्य का ‘ उन्नायक ‘ गुरु ठाकुर प्रसाद को माना जाता है।
  • बिंदादिन ने कत्थक में ठुमरी गायन का समावेश किया
  • कथक के लिए प्रसिद्ध घराने हैं- लखनऊ व वाराणसी घराना
  • लखनऊ घराने के प्रसिद्ध कलाकार हैं – बिंदादीन, शंभू महाराज, लच्छू महाराज ( बैजनाथ मिश्र ), कालका महाराज, अच्छन महाराज, बिरजू महाराज, उर्मिला शर्मा, शैलजा सिंह, परोमिता दास, पायल उपाध्याय, परख मदान, द्विपैय्न दास, तनुश्री इत्यादि।
  • बनारस घराने के प्रसिद्ध कलाकार हैं – पंडित शिवनंदन मिश्र, बड़े रामदास, छोटे रामदास, जैकरण मिश्र, हरिशंकर मिश्र, गोपीकृष्ण चौबे, उदय शंकर, महादेव मिश्र, सितारा देवी, अलखनंदा इत्यादि।

UP ke Sanskriti Previous Year Questions


Q.1: निम्नलिखित में से कौन उत्तर प्रदेश का लोक नृत्य नहीं है? [UPPSC ACF RFO 2021]
[A] चरकुला
[B] कर्मा
[C] फगुआ
[D] पाई – डंडा

[C] फगुआ


Q.2: निम्नलिखित में से कौन-सा एक उत्तर प्रदेश का लोक नृत्य है? [UPPSC]
[A] शिग्मो
[B] घोड़े
[C] मोडनी
[D] जैता

[D] जैता
सिग्मा, घोड़े और मोडनी गोवा के लोक नृत्य है ये दशहरा के अवसर पर किये जाते है।


Q.3: निम्नलिखित में से कौन एक कथक कलाकार नहीं है? [UPPSC Mains 2008]
[A] बिरजू महाराज
[B] किशन महाराज
[C] लच्छू महाराज
[D] सितारा देवी

[A] बिरजू महाराज
बिरजू महाराज बनारस घराने के प्रसिद्ध तबला वादक हैं, जबकि अन्य सभी कथक कलाकार हैं।


Q.4: निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा सही सुमेलित नहीं है?
[A] हारमोनियम वादक – श्रीराम श्रीवास्तव
[B] ब्रज – रास नृत्य  
[C] मिर्जापुर – बिरहा
[D] गायकी – मुबारक अली खां

[A]
श्रीराम श्रीवास्तव वायलिन वादक थे।


Q.5: निम्नलिखित नृत्यों में से कौन एक सुमेलित नहीं है? [UPPSC Pre 2009]
[A] कर्मा – महोबा
[B] धुरिया – बुंदेलखंड
[C] धीवर – कहार
[D] नटवरी – पूर्वांचल

[A]
कर्मा नृत्य – सोनभद्र


Q.6: ‘दिवारी पाई डंडा’ लोक कला उत्तर प्रदेश के किस क्षेत्र से संबंधित है? [UPPSC ACF RFO Mains 2020]
[A] अवध
[B] बुंदेलखंड
[C] ब्रज
[D] पूर्वांचल

[B] बुंदेलखंड


Q.7: उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य कौन से हैं ?
[A] नटवरी, घुमर, घड़ा
[B] चरकुला, कर्मा, जोगिनी
[C] राउनाच, भांगड़ा, राउफ
[D] लावणी, कत्थक, कथकली

[B] चरकुला, कर्मा, जोगिनी


Q.8: ‘धुरियां’ लोकनृत्य है- [UPPSC Pre 2010]
[A] अवध का
[B] पूर्वांचल का
[C] बुंदेलखंड का
[D] रोहेलखंड का

[C] बुंदेलखंड का


Q.9: लोक नृत्य ‘राहुला’ का संबंध उत्तर प्रदेश के निम्न में से किस क्षेत्र से है? [UPPSC 2008]
[A] पूर्व क्षेत्र से
[B] पश्चिम क्षेत्र से
[C] मध्य क्षेत्र से
[D] बुंदेलखंड क्षेत्र से

[D] बुंदेलखंड क्षेत्र से


Q.10: ‘कार्तिक’ एक लोक नृत्य है – [UPPSC Mains 2015]
[A] बुंदेलखंड का
[B] अवध का
[C] पूर्वांचल का 
[D] रोहिलखंड का

[A] बुंदेलखंड का


Q.11: निम्न में से किस लोक नृत्य का आयोजन बुंदेलखंड क्षेत्र में फसल कटाई के समय किया जाता है?
[A] कर्मा
[B] छोलिया
[C] फगुआ
[D] शैरा

[D] शैरा


Q.13: उत्तर प्रदेश के चरकुला नृत्य में महिला अपने सिर पर क्या रखकर नृत्य करती है?
[A] पानी से भरा मिट्टी का बर्तन
[B] दूध से भरा मिट्टी का बर्तन
[C] तेल के दीपक
[D] चार मिट्टी के बर्तन

[C] तेल के दीपक


Q.14: निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य उत्तर प्रदेश से संबंधित नहीं है?
[A] चरकुला
[B] कठपुतली नाच
[C] मयूर नृत्य
[D] पाई – डंडा

[B] कठपुतली नाच


Q.15: निम्न में कौन बुंदेलखंड का लोक नृत्य नहीं है? [UPPSC Mains 2016]
[A] ख्याल नृत्य
[B] पाई-डंडा नृत्य
[C] बढ़इया नृत्य
[D] राई नृत्य

[C] बढ़इया नृत्य


Q.16: उत्तर प्रदेश का मुख्य लोक नृत्य है? [UPPSC Mains 2014]
[A] धोबिया
[B] राई
[C] शायरा
[D] उपर्युक्त सभी

[D] उपर्युक्त सभी


Q.17: सही सुमेलित उत्तर चुने-
[A] भातखंडे संगीत संस्थान — 1. 1926
[B] राज्य ललित कला अकादमी — 2. 1962
[C] उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी — 3. 1963
[D] भारतेंदु नाट्य अकादमी — 4. 1975

[A] भातखंडे संगीत संस्थान — 1. 1926


Q.18: उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक पुरातात्विक एवं कलात्मक निधि की देख-रेख करने के लिए स्थापित संस्कृति विभाग के कार्यों में कौन-सा कार्य सम्मिलित नहीं है ? [UPPSC 2008]
[A] उसका संरक्षण तथा प्रदर्शन
[B] इसका प्रकाशन
[C] उसका अभिलेखीकरण
[D] उसकी बिक्री

[D] उसकी बिक्री

उत्तर: उत्तर प्रदेश का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य कथक है।

उत्तर: फसल कटाई पर किसानों द्वारा

उत्तर: राम नवमी के अवसर पर पुरुष महिलाओं का रूप धारण करके नृत्य करते हैं।

उत्तर: ढेढिया नृत्य छिद्र युक्त मिट्टी के बर्तन में दीपक जला कर उसे सिर पर रखकर किया जाता है। यह नृत्य प्रदेश के द्वाबा क्षेत्र में किया जाता है, श्रीराम के लंका विजय के बाद वापस आने पर स्वागत स्वरुप।

उत्तर: एक हाथ में रुमाल और दूसरे हाथ में दर्पण लेकर किया जाने वाला नृत्य है।

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