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Story: Sher aur Chuha / कहानी: शेर और चूहा

कहानी: शेर और चूहा

Story: Sher aur Chuha / कहानी: शेर और चूहा

Story: Sher aur Chuha / कहानी: शेर और चूहा

कहानी: शेर और चूहा

बहुत पुराने समय की बात है। एक जंगल में बहुत ही खूंखार शेर रहता था। जंगल के सारे जानवर शेर से बहुत डरते थे।

एक दिन की बात है, शेर भोजन के पश्चात एक पेड़ के नीचे बहुत ही गहरी नींद में सोया हुआ था और खर्राटे ले रहा था। वही पेड़ के पास चूहे का एक बिल भी था। शेर के खर्राटों से परेशान हो कर चूहा अपने बिल से बाहर आया और सोते हुए शेर को देखा। शेर को देखकर पहले तो चूहा थोड़ा डरा लेकिन फिर वह सोचने लगा कि ” शेर तो अभी गहरी नींद में है, इसलिए अभी तो यह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। तो चलो कुछ मस्ती ही कर लेता हूँ। वैसे भी इसके खर्राटों ने मेरी नींद खराब कर दी है।”

यह सोचकर चूहा सोते हुए शेर के ऊपर चढ़कर उछल–कूद करने लगा। इस उछल–कूद की वजह से शेर की नींद टूट गई। शेर क्रोधित होकर, चूहे को अपने पंजे में जकड़ लेता है और जोर से दहाड़ते हुए चूहे से बोलता है– ” शैतान चूहे तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी नींद खराब करने की। अब मैं तुम्हे नहीं छोड़ूंगा और खा जाऊंगा।” यह सुनकर चूहे की हालत खराब हो गई और डर के मारे वह कांपने लगा। चूहा कांपती आवाज़ में शेर से बोला –
” महोदय आप इस जंगल के महाराजा है। मुझे आप छोटा समझकर क्षमा कर दीजिए। मुझ जैसे छोटे से जानवर को मारकर अपकी शान नहीं बढ़ेगी। “

शेर की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही होती देखकर। चूहा गिड़गिड़ाते हुए फिर बोला – ” महाराज! मुझे जाने दीजिए, मत मारिये। मैं मुसीबत में आपके काम आऊंगा, वादा करता हूँ।” (Story: Sher aur Chuha / कहानी: शेर और चूहा)

चूहे की यह बात सुनकर शेर जोर-जोर से हँसने लगा और बोला – “तुम्हारे जैसा छोटा जानवर मेरे किस काम का? खैर चलो, मैं तुम्हे छोड़ता हूँ क्योंकि तुमने आज मुझे बहुत हंसाया है।” यह कहते हुए शेर ने चूहे को छोड़ दिया। चूहा गिरते-पड़ते वहां से भाग गया।

कुछ दिनों के बाद शिकारीयों का एक दल शिकार के लिए जंगल में आया। उन्होंने शिकार पकड़ने के लिए एक मजबूत जाल जंगल में बिछाया। एक दिन शेर उसी रास्ते से गुजर रहा था, जिस रास्ते में जाल बिछा हुआ था। बदकिस्मती से शेर उसी जाल में फंस गया। शेर ने उस जाल से निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन वह निकल नहीं पाया। शेर मदद के लिए गुहार करने लगा। “कोई है क्या इधर? क्या कोई मेरी मदद कर सकता है? मैं इस जाल में फस गया हूँ, कोई मुझे इस जाल से बाहर निकलो।”

उसी समय चूहा वहाँ से गुजर रहा था। वह शेर की आवाज़ सुनकर तुंरत शेर के पास गया और बोला- ” महाराज! यह कैसा अनर्थ हो गया ? आप इस जाल में कैसे फंस गये? लेकिन आप परेशान न हो, मैं अपने तेज दाँतों से इस जाल को कुतर कर आपको आज़ाद करता हूँ।” यह कहकर चूहे ने उस जाल को कुतरना शुरू कर दिया और जल्दी ही शेर जाल से मुक्त हो गया।

उसके बाद चूहा, शेर से बोला – ” महाराज! उस दिन आप मुझ पर हंस रहे थे न जब मैंने आपसे कहा था कि मैं किसी न किसी दिन आपके काम आऊंगा। अब आपको यह समझ आ गया होगा कि एक छोटा और कमजोर प्राणी भी किसी बड़े जानवर की मदद कर सकता है।”

इस पर शेर बोला – “हाँ, दोस्त! आज से तुम मेरे खास दोस्त हो। आज तुमने मुझे जीवन का सही पाठ पढ़ाया है।” अब शेर और चूहे में दोस्ती हो गई और दोनों जंगल में प्रेम से एक साथ रहने लगे।” (Story: Sher aur Chuha / कहानी: शेर और चूहा)

Moral of the Story : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी को भी छोटा और कमजोर नहीं समझना नहीं चाहिए। ईश्वर के बनाये प्रत्येक प्राणी का अपना अलग महत्व है। सबसे मिल–जुल कर रहना चाहिए। (Story: Sher aur Chuha / कहानी: शेर और चूहा)

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