Lord Ripon / लॉर्ड रिपन
Lord Ripon / लॉर्ड रिपन (1880-84):
- श्रमिकों की दशा में सुधार के लिए प्रथम कारखाना अधिनियम–१८८१ पारित हुआ।
प्रथम कारखाना अधिनियम–१८८१: इस अधिनियम के माध्यम से (१) बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाया गया , 7 वर्ष से कम के बच्चों को काम करने पर प्रतिबंध। (2) महिलाओं तथा बच्चों के काम करने के घंटों को सीमित किया गया अधिकतम 9 घंटे प्रतिदिन। |
- १८८२ में सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में हंटर शिक्षा आयोग (Hunter commission) का गठन हुआ,
हंटर शिक्षा आयोग-१८८२: इस आयोग ने प्राथमिक शिक्षा पर विशेष बल दिया। इस आयोग की प्रमुख सिफारिशें थी, (१) प्राथमिक शिक्षा की देखरेख की जिम्मेदारी जिला तथा नगरपालिका बोर्ड को दी जाए। (२) प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में हो और व्यवहारिक हो। (३) स्त्री शिक्षा पर विशेष बल दिया जाए। (४) माध्यमिक शिक्षा दो शाखाओं के अंतर्गत दी जाए, (i) साहित्यिक (Literary)– इसके बाद विद्यार्थी विश्वविद्यालय शिक्षा को जाए। (ii) व्यावसायिक(Vocational)– यह रोजगार परक शिक्षा हो जिसके बाद विद्यार्थी रोजगार कर सकें। |
- १८८२ में लॉर्ड रिपन द्वारा स्थानीय स्वशासन प्रणाली की शुरुआत की गई, जैसे स्थानीय स्तर पर तहसील और जिला बोर्ड की स्थापना की गई। ये स्थानीय बोर्ड/निकाय सरकार के हस्तक्षेप से परे होते थे, इसलिए लॉर्ड रिपन को स्थानीय स्वशासन का जनक कहा जाता है।
- १८८२ में Ilbert Bill पारित हुआ जो लागू ना हो सका, परिणाम स्वरूप १८८३–८४ में इल्बर्ट बिल विवाद उपजा।
इल्बर्ट बिल विवाद: इस विधेयक के प्रावधान के अनुसार भारतीय न्यायाधीशों को उन मामलों की सुनवाई करने का भी अधिकार प्रदान कर दिया गया जिनमें यूरोपीय नागरिक भी शामिल होते थे। इससे पहले ऐसा नहीं होता था। परंतु यूरोपीय लोगों ने इस बिल का विरोध इस बात पर किया कि कोई भी भारतीय न्यायधीश, यूरोपीय अपराधियों के मामलों की सुनवाई करने के योग्य नहीं है। इसे ही इल्बर्ट बिल विवाद कहा जाता है। अत्यधिक विरोध की वजह से सरकार ने बिल को वापस ले लिया। |
- भारत में प्रथम नियमित जनगणना १८८१ से इसके ही कार्यकाल से शुरु हुई।
- लार्ड रिपन को ‘भारत के उद्दारक’ की संज्ञा फ्लोरेंस नाइटेंगल ने दी।