Lord Lytton / लॉर्ड लिटन
Lord Lytton / लॉर्ड लिटन (1876–80):
- १८७६-७८ में दक्षिण भारत (मद्रास, मुंबई मैसूर, हैदराबाद), मध्य प्रांत पंजाब में भयंकर अकाल पड़ा। सर रिचर्ड स्ट्रैची की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग का गठन १८७८ में किया गया।
- जब भारत में भयंकर अकाल पड़ा था तब लॉर्ड कैनिंग ने महारानी विक्टोरिया को “कैसर–ए–हिंद” की उपाधि से विभूषित करने के लिए प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन १ अक्टूबर १८७७ को किया। अकाल के इस बुरे वक्त में भी दिल्ली दरबार का आयोजन होने की वजह से समाचार पत्रों में लॉर्ड लिटन की काफी निंदा हुई। अतः समाचार पत्रों पर लगाम लगाने के लिए उसने देशी भाषा समाचार अधिनियम–१८७८ पारित किया।
देशी भाषा समाचार अधिनियम (Vernacular Press Act–1878): उद्देश्य: भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों पर सरकारी नियंत्रण स्थापित करना तथा राजद्रोही लेखों को दबाना। यह कानून केवल भारतीय भाषाओं के लिए था। कानून: District magistrate को यह अधिकार दिया गया कि वह किसी भी भारतीय भाषा के समाचार पत्र प्रकाशक से अनुबंध करने को कह सकते थे। प्रकाशक ऐसी कोई भी सामग्री प्रकाशित नहीं करेगा, जिससे सरकार के विरुद्ध असंतोष भड़के। अन्यथा प्रेस को जब्त, प्रकाशक को जेल तथा जुर्माना किया जा सकता था। यदि कोई समाचार पत्र इस कार्यवाही से बचना चाहे तो, उसे पहले अपने समाचार पत्र की एक प्रति सरकारी पत्रेक्षण को देनी होगी। यह कानून मुख्य रूप से समाचार पत्र “सोम प्रकाश” पर प्रतिबंध लगाने के लिए लाया गया था, जिसके प्रकाशक ईश्वर चंद्र विद्यासागर थे। अन्य समाचार पत्र जो इस कानून से प्रभावित थे उनमें भारत मिहिर, ढाका प्रकाश और सहचर आदि समाचार पत्र शामिल थे। इस एक्ट से बचने के लिए शिशिर कुमार घोष का समाचार पत्र ‘अमृत बाज़ार पत्रिका’, जो बंगला भाषा में प्रकाशित होता था रातों रात अंग्रेज़ी भाषा में परिवर्तित हो गया। |