Lord Irwin / लार्ड इरविन
Lord Irwin / लार्ड इरविन (1926-31):
- १९२७ में Harcourt Butler Committee का गठन हुआ जिसका उद्देश्य था, देसी राजाओं और ब्रिटिश गवर्नमेंट के बीच संबंधों की जांच जांच करना तथा उनके आपसी संबंध को बढ़ाने के लिए सुझाव देना।
- 3 फरवरी 1928 को Sir John Simon की अध्यक्षता में एक ७ सदस्यीय दल ‘साइमन कमीशन’ भारत आया। जिसका उद्देश्य भारत में हुए संवैधानिक सुधारों ( गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट–1919) की समीक्षा करना था।
- २८ अगस्त १९२८ को नेहरू रिपोर्ट प्रकाशित की गई।
- २६ जनवरी १९२९ को जवाहरलाल नेहरु की अध्यक्षता में लाहौर में INC का अधिवेशन हुआ जहां पर ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित हुआ और कांग्रेस ने यह घोषणा की कि कांग्रेस का लक्ष्य ‘पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना है’ साथ ही प्रत्येक वर्ष इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा भी हुई।
- ३० अक्टूबर १९२९ को साइमन कमीशन के विरोध में हुए लाठीचार्ज से १७ नवंबर १९२८ को लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। जिससे क्षुब्ध होकर भारतीय क्रांतिकारी राजगुरु और भगत सिंह ने लाहौर में १७ दिसंबर १९२८ को जे०पी० सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी।इसके मुकदमे को ही लाहौर षड्यंत्र केस कहा गया।
- २३ मार्च १९३१ को लाहौर षड्यंत्र केस में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर सेंट्रल जेल में फाँसी दी गई। इस दिन को शहीद दिवस के रूप में याद किया जाता है।
- ८ अप्रैल १९२९ को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने किसी को नुकसान न पहुंचाने के उद्देश्य से असेंबली हॉल में बम फेंका। ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे लगाए, पर्चे भी फेका तथा स्वेच्छा से आत्मसमर्पण कर दिया। यहां दोनों क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया गया और उन पर इस कृत्य के लिए मुकदमा चलाया गया। इस मुकदमे में बचाव पक्ष के वकील आसफ अली थे।
- १९२९ में लार्ड इरविन द्वारा ‘दीपावली घोषणा’ की गई जिसने भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा प्रदान करने की बात की गई।
- १९२९ के अंत तक भारतीयों को ब्रिटिश गवर्नमेंट द्वारा डोमिनियन स्टेट प्रदान किए जाने वाले घोषणा पर शक होने लगा था परिणाम स्वरूप गांधी जी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ।
- नवंबर १९३० में साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए ब्रिटिश गवर्नमेंट द्वारा लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग नहीं लिया था तथा इस सम्मेलन का कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
- 5 मार्च 1931 को गाँधी जी और लार्ड इरविन के बीच एक समझौता हुआ, जिसे गाँधी-इरविन समझौता के नाम से जाना जाता है।