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Lord Cornwalis / लॉर्ड कॉर्नवालिस

Lord Cornwalis / लॉर्ड कॉर्नवालिस (1786-93)

  • १७८६ का अधिनियम (Act of 1786) पारित होने के बाद कार्नवालिस Governor General बनकर भारत आया, इस अधिनियम के तहत उसे सर्वोच्च सेनापति की भी शक्तियां दी गई।
  • लार्ड कॉर्नवालिस ने भारत में व्यापक पैमाने पर सिविल सेवाओं में सुधार और आधुनिकीकरण किया इसलिए लार्ड कॉर्नवालिस को भारतीय सिविल सेवा के जनक के रूप में जाना जाता है।
  • इसके कार्यकाल के आखिरी दिनों में 1793 का चार्टर अधिनियम पारित हुआ।
  • लॉर्ड कॉर्नवालिस ने भारत में कई तरीके के प्रशासनिक सुधार (Administrative Reform) किए-
    • प्रशासन के उच्च पदों को Europeans के लिए आरक्षित किया।
    • भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कम्पनी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी की तथा उनके निजी व्यापार पर रोक लगाई।
    • सेना में भर्ती के लिए एक नियमित भर्ती प्रणाली बनाई।
    • उसके शासनकाल में जिलों को छोटे– छोटे थानों में बांटा गया, जिसका इंचार्ज इंस्पेक्टर होता था तथा जिले का supervision SP (Superintendent of Police) द्वारा किया जाता था।
    • उसने जमींदारों से policing power लेकर मजिस्ट्रेट को दे दिया।
  • लॉर्ड कॉर्नावालिस ने भारत में प्रशासन का यूरोपीकरण किया –
    • भारत में सिविल सर्विस का सृजन किया ( IAS/IPS का पद, DISTRICT COLLECTOR के पद का सृजन किया)।
    • कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए योग्यता को सेवा का आधार माना।
  • इसी के शासनकाल में टीपू के साथ तीसरा आंग्ल – मैसूर युद्ध (१७९०–९२) हुआ तथा श्रीरंगपट्टनम की संधि से इस युद्ध का अंत हुआ।
  • कॉर्नवालिस ने १७९१ में बनारस में हिंदुओं के लिए एक संस्कृत कॉलेज की स्थापना थी, जिसमें हिंदू धर्म, कानून और साहित्य की शिक्षा दी जाती थी। इसे अब गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ संस्कृत के नाम से जाना जाता है।
  • लार्ड कॉर्नवालिस ने भूमिकर में सुधार से सम्बन्धित 1793 में स्थाई बंदोबस्त प्रणाली लागू की तथा सूर्यास्त का नियम दिया।
  • लार्ड कॉर्नवालिस ने कई  न्यायिक सुधार (Judicial Reforms) किये। जो बाद में Cornwallis Code-1793 में समाहित हो गए। कॉर्नवालिस कोड ‘शक्तियों के पृथक्करण’ के सिद्धांत पर आधारित था
  • कॉर्नवालिस कोड–1793 के तहत कर प्रशासन (District Collector) और न्याय प्रशासन (District Judge’s) को अलग कर दिया गया। क्योंकि कॉर्नवालिस का यह मानना था कि डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के रूप में किए गए अन्याय का निर्णय कोई स्वयं न्यायधीश के रूप में कैसे ले सकता है। इससे पूर्व डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पास भूमिकर विभाग के साथ-साथ न्यायिक और दंड नायक की शक्तियाँ भी होती थी।
  • प्रत्येक जिले में जिला न्यायधीश के नियंत्रण में एक ‘जिला न्यायालय’ की स्थापना की तथा इन पर नियंत्रण रखने के लिए इनके ऊपर चार प्रान्तीय न्यायालय कलकत्ता, मुर्शिदाबाद, ढाका और पटना में स्थापना की, जहाँ जिला न्यायालयों के विरुद्ध अपील हो सकती थी।
  • न्यायालयों में हिन्दुओं पर हिन्दू कानून तथा मुसलमानों पर मुस्लिम कानून लागू होता था।
  • लार्ड कॉर्नावालिस ने ‘कानून की विशिष्टता का नियम’ भारत में लागू किया।
  • अंग–भंग की सजा समाप्त कर दी गई तथा उसके स्थान पर कठोर कारावास की व्यवस्था की गई।

लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वितीय कार्यकाल (जुलाई से अक्टूबर 1805):

  • द्वितीय कार्यकाल में India आते ही इनकी तबियत खराब हो गई और मृत्यु हो गई। इनकी कब्र Uttar Pradesh के गाजीपुर जिले में है, जो लॉट साहब की कब्र के नाम से प्रसिद्ध है।
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