European companies ka Bharat aagman
यूरोपीय कंपनियों का भारत आगमन
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- भारत की समृद्धि के बारे में जानकर पश्चिमी देशों में भारत के साथ व्यापार करने की इच्छा पहले से ही थी। 13वीं शताब्दी में भूमध्य सागर के आसपास मुस्लिम शासकों का अधिपत्य हो जाने के कारण भारत से यूरोप का पारंपरिक व्यापारिक मार्ग अवरुद्ध हो गया। अतः यूरोपिय देशों को एक नए व्यापरिक मार्ग की तलाश थी। 15 वी शताब्दी के अंत में वास्कोडिगामा ने भारत के लिए ‘केप ऑफ गुड़ होप’ के रास्ते समुद्री मार्ग की खोज की जिससे कि यूरोपीय कंपनियों का भारत आगमन शुरू हुआ। प्रारंभ में यूरोपीय कंपनियों का प्रमुख उद्देश्य व्यापार करना था जिसमें मसाले और कपड़ों का व्यापार प्रमुख था, बाद में धीरे-धीरे यूरोपीय कंपनियों ने भारत में अपनी कालोनियां बनाई और कुछ क्षेत्रों में अधिकार कर लिया। इन यूरोपीय कंपनियों में ब्रिटिशर्स ने तो भारत पर लगभग पूरा अधिकार ही कर लिया।
यूरोपीय कंपनियों के भारत आने का प्रमुख कारण:
- यूरोपीय कंपनियां भारत में प्रमुखतया व्यापार करने आयी। भारत के मसाले तथा भारत में बने हुए सूती और रेशम के कपड़ों की यूरोप के बाजार में अत्यधिक मांग थी।
- अत्यधिक लाभ के लिए भारत में अपना उपनिवेश स्थापित करना।
- ईसाई धर्म का प्रचार करना।
यूरोपीय कंपनियों का स्थापना क्रम:
यूरोपीय कंपनियां | पुर्तगाली | ब्रिटिश | डच | फ्रांसीसी |
स्थापना वर्ष | 1498 | 1600 | 1602 | 1664 |
यूरोपीय कंपनियों के भारत आने का क्रम:
यूरोपीय कंपनियां | पुर्तगाली P | डच D | ब्रिटिश B | डेनिश D | फ्रांसीसी F | स्वीडिश S |
आगमन वर्ष | 1498 | 1595 | 1600 | 1616 | 1664 | 1731 |
Trick to Remember: PD BD FS
(1) पुर्तगाली:
- पुर्तगाली सबसे पहले भारत आने वाले यूरोपीय थे तथा भारत से सबसे बाद में जाने वाले भी पुर्तगाली ही थे, 1861 में गोवा से गए।
- पुर्तगालियों ने भारत के मसालों को यूरोप में पहचान दी।
- समुद्र मार्ग से भारत आने वाला प्रथम यूरोपियन वास्कोडिगामा ( पुर्तगाली ) था, जो 20 मई 1498 को भारत आया। वह सबसे पहले पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट (Kozhikode– केरल) पहुंचा। वहाँ के राजा जमोरिन ने वास्कोडिगामा का भव्य स्वागत किया, जिसका अरब व्यापारियों ने विरोध किया (आर्थिक / व्यापारिक कारणों से)।
- वास्कोडिगामा भारत से बड़ी मात्रा में मसाले, काली मिर्च यूरोप लेकर गया और उसको कई गुना मुनाफे पर बेचा, जिससे अन्य यूरोपीय भी भारत की तरफ आकर्षित हुए।
- भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली व्यापारी पेड्रोअल्बरेज था जो सन् 1500 में भारत आया।
- सन् 1602 ई० में वास्कोडिगामा दूसरी बार भारत आया।
- भारत में प्रथम यूरोपीय ( पुर्तगाली ) दुर्ग/ बस्ती /व्यापारिक केंद्र/कारखाना/ फैक्ट्री का निर्माण सन् 1503 ई० में कोचीन में हुआ। पुर्तगालियों ने कारखाना/ किलाबंदी पद्धति इटली के व्यापारियों से सीखा।
- 1661 में ब्रिटिश राजकुमार चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन के साथ हुआ, पुर्तगाल ने ब्रिटिशर्स को बॉम्बे उपहार में दिया।
भारत में पुर्तगाली गवर्नर/वायसराय:
- (1) फ्रांसिस्को–द–अल्मीडा (1505–09):
- सन् 1505 ई० में फ्रांसिस्को–द–अल्मीडा प्रथम पुर्तगाली वायसराय/ गवर्नर बन के भारत आया।
- यहां उसने ब्लू वाटर पॉलिसी अपनाई।
- (2) अल्फांसो–द–अल्बुकर्क (1509–15):
- अल्फांसो–द–अल्बुकर्क द्वितीय पुर्तगाली वायसराय बनके भारत आया। वह भारत में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक था।
- 1510 ई० में बीजापुर के शासक युसूफ आदिलशाह को हराकर, उसने गोवा पर कब्जा किया तथा गोवा को पुर्तगालियों की सत्ता और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र बनाया।
- उसने विवाह की नीति चलायी ( उसने पुर्तगालियों की आबादी बढ़ाने के लिए पुर्तगालियों को भारतीय महिलाओं से शादी कर बच्चे पैदा करने को प्रोत्साहित किया )।
- इसने कोचीन को अपना मुख्यालय/राजधानी बनाया।
- (3) नीनो डी कुन्हा :
- यह भारत में तृतीय पुर्तगाली वायसराय था।
- 1530 में इसने गोवा को पुर्तगालियों की औपचारिक राजधानी बनायी।
- इसने 1535 ई० में दीव तथा 1539 ई० में दमन को जीता।
- पुर्तगालियों की भारत में व्यापारिक बस्तियां मुख्यतः कालीकट, गोवा, दीव, दमन और हुगली में थी।
पुर्तगालियों का भारत में योगदान:
- 1556 में गोवा में प्रथम प्रिंटिंग प्रेस लगाया।
- तंबाकू, आलू , लाल मिर्च, अनन्नास, गन्ना और पपीते की खेती प्रारम्भ की।
- भारत में ईसाई धर्म का प्रचार किया। गोथिक स्थापत्य कला की शुरूआत की।
- जहाज निर्माण की कला सिखाया।
पुर्तगालियों के पतन के कारण:
- ईसाई करण की नीति:
- कार्टेज अर्मेडा काफिला पद्धति:
(2) डच :
- डच नीदरलैंड/ हालैंड के निवासी थे। वे दक्षिण पूर्व एशिया के मसाला व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से सर्वप्रथम इंडोनेशिया आए उसके बाद भारत आये।
- 1596 में कार्नेलिस– डी–हॉउटमैन भारत आने वाला प्रथम डच नागरिक था।
- डच ईस्ट इंडिया कंपनी (United East India company of Netherlands) एक सरकारी कंपनी थी, जो भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आयी, इसकी स्थापना 1602 ई० में हुई थी।
- डचों ने 1605 ई० में मसूलीपट्टनम में पहली फैक्ट्री की स्थापना की। मशीनों प्रयोग करके सूती वस्त्र बनाने का प्रथम श्रेय डचों को दिया जाता है। डचों ने भारतीय वस्त्रों को यूरोप में पहचान दिलायी। वे मुख्यतः कोरोमंडल तट से व्यापार करते थे।
- 1759 में डचों और अंग्रेजों (नेतृत्व लॉर्ड क्लाइव) के बीच बेदरा का युद्ध हुआ, जिसमें अंग्रेजों की विजय हुई और इस युद्ध के बाद भारत में डचों का राजनैतिक प्रभाव खत्म हो गया।
- डच व्यापारिक बस्तियां कालीकट, कोचीन, नागापटनम तथा चिनसुरा में थी।
(3) ब्रिटिश :
- जॉन मिल्डन हॉल स्थल मार्ग से भारत आने वाला प्रथम ब्रिटिश यात्री था जो 1599 ई० में भारत आया।
- लीवेंट कंपनी पहले ब्रिटिश कंपनी थी, जिसको महारानी द्वारा भारत में व्यापार का अधिकार मिला था।
- क्वीन एलिजाबेथ प्रथम के सहयोग से 31 दिसंबर सन् 1600 को ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई, जिसका पहला गवर्नर टॉमस स्मिथ था।
- ब्रिटेन के राजा जेम्स प्रथम से अनुमति प्राप्त कर, बादशाह अकबर के नाम का संदेश लेकर मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में पहुंचने वाला प्रथम ब्रिटिश नागरिक कैप्टन हॉकिंस था, जो 1608 ई० में जहाँगीर के दरबार में पहुंचा था। वह समुद्र के रास्ते भारत पहुंचने वाला प्रथम ब्रिटिश नागरिक भी था।
- 1608 ई० में सूरत में अंग्रेजों ने अपना प्रथम व्यापारिक किला बनाने का कार्य प्रारंभ किया, लेकिन मुगल बादशाह से अनुमति नहीं मिलने के कारण व अन्य विरोध की वजह से यह व्यापारिक किला 1613 में बन कर तैयार हुआ।यह अंग्रेजों का पहला स्थायी व्यापारिक किला था। इसी बीच 1611 ई० में अंग्रेजों ने मसूलीपट्टनम में एक अस्थायी व्यापारिक किला भी स्थापित किया था।
- दूसरा ब्रिटिश राजदूत जो बादशाह जहाँगीर से 1615 ई० में मिला टॉमस रो था।
- पूर्वी भारत में अंग्रेजों ने अपना पहला कारखाना 1633 ई० में उड़ीसा में स्थापित किया था।
- Gerald Aunger ने मुंबई शहर की स्थापना की थी।
- बंगाल के तीन गांव सूतानुति, कालीकट और गोविंदपुर की दीवानी अजीमुश्शान (औरंगजेब का पोता ) द्वारा अंग्रेजों को मिली, जहाँ पर 1690 ई० में फोर्ट विलियम की नींव जॉब चारनाक ने रखी। उसके पहले प्रशासक चार्ल्स आयर थे, कालांतर में यही कोलकाता शहर बना।
(4) डेनिश :
- डेनिश डेनमार्क के निवासी थे।
- डेनिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1602 ई० में हुई। उन्होंने भारत में अपनी पहली व्यापारिक कोठी 1620 ई० में ट्रैंकोबार (तमिलनाडु ) में स्थापित की और 1845 ई० में इस कंपनी को अंग्रेजों को बेच दिया।
(5) फ्रांसिसी :
- फ्रांस के राजा लुई 14 वें के शासनकाल में मंत्री कोलबर्ट के प्रयासों द्वारा फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1664 ई० में हुई। यह एक सरकारी कंपनी थी, जिस पर नियंत्रण और सारा खर्च फ्रांस की सरकार वहन करती थी।
- फ्रांसिस कैरो के नेतृत्व में 1667 में एक व्यापारिक दल भारत आया।
- 1668 में सूरत में पहले फ्रांसीसी व्यापारिक केंद्र की स्थापना हुई। 1669 ई० में मसूलीपट्टनम में दूसरा व्यापारिक केंद्र, गोलकुंडा के सुल्तान से अधिकार प्राप्त करने के बाद स्थापित किया गया।
- फ्रांसिस मार्टिन द्वारा 1673 ई० में पांडिचेरी की स्थापना हुई।
- राजनीतिक हस्तक्षेप करके भारत में व्यापारिक लाभ लेने की प्रथा भारत में सबसे पहले डुप्ले (सहायक संधि का जनक) ने शुरू की।
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