Skip to content

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental Pollution)

Pollution शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई – polluere (लैटिन भाषा, अर्थ – मिट्टी या अपवित्र ) ।

वायु प्रदूषण (Air Pollution) :

जब मानवीय या प्राकृतिक कारणों से वायुमंडल में उपस्थित गैसों के निश्चित अनुपात में (विषाक्‍त गैसों या कणकीय पदार्थों की वजह से) अवांछनीय परिवर्तन हो जाता है, तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं ।

वायुमंडल में गैसों का अनुपात : नाइट्रोजन 78.08%, ऑक्सीजन 2.94%, ऑर्गन 0.93%, कार्बन डाइऑक्साइड 0.03% एवं अन्य गैस ।

वायु प्रदूषण के स्रोत्र (Source of Air Pollution):

(i) प्राकृतिक स्रोत (Natural Sources) : वनाग्नि, ज्‍वालामुखी उद्गार तथा जैविक पदार्थों के सड़ने-गलने से निकलने वाली गैसें, जैसे – सल्‍फर डाइऑक्‍साइड (SO2), नाइट्रोजन के ऑक्‍साइडस (NOX) इत्‍यादि ।

(ii) मानवजनित स्रोत (Man made Source – Anthropogenic source): कोयला, पेट्रोल, डीजल आदि का दहन से निकलने वाली गैसें जैसे – CO2, CO इत्‍यादि ।

पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution

जलवायु एवं स्‍वच्‍छ वायु गठबंधन (Climate and clean air coalition – CCAC):

यह विभिन्‍न देशों, नागरिक समाजों (Civil Societies) व निजी क्षेत्रों का एक वैश्विक प्रयास है जो वायु की गुणवत्‍ता को बेहतर बनाने हेतु अल्‍पजीवी/अल्‍पायु जलवायु प्रदूषकों ( जैसे – ब्लैक कार्बन, मीथेन, ट्रोपोस्फेरिक ओजोन और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन आदि ) को न्‍यूनीकृत कर प्रतिबद्ध हैं।

एन्‍थ्रोपोजेनिक प्रदूषक – मानव-जनित पर्यावरणीय प्रदूषक ।

प्रदूषक के प्रकार (Types of Pollutants):

  1. प्राथमिक प्रदूषक (Primary Pollutants) : वातावरण में उसी रूप में बने रहते हैं जिस रूप में मिलाए जाते हैं । जैसे- डीडीटी, VOC’s, SO2, नाइट्रोजन के ऑक्‍साइडस, CO और प्लास्टिक।
  2. द्वितीयक प्रदूषक (Secondary Pollutants) : प्राथमिक प्रदूषकों के बीच परस्पर क्रिया की वजह से बनते हैं। जैसे – O3, NH4+, HNO3, PAN, Smog ।

Table of Contents

प्रमुख वायु प्रदूषक (Major Air Pollutants):

कार्बन मोनोऑक्साइड (CO):
  • हाइड्रोकार्बन के आंशिक दहन से उत्सर्जित।
  • CO वायुमंडल में कम समय के लिए रहती है तथा इसका ऑक्‍सीकरण हो जाता है – CO2 में।
  • रंगहीन (colorless) तथा अति विषैली (Highly Poisonous) गैस।
  • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) दमघोटू गैस कहलाती है।
  • यह रक्‍त के हीमोग्‍लोबिन के साथ क्रिया करके एक स्‍थायी यौगिक बना लेती है, जिससे हीमोग्‍लोबिन ऑक्‍सीजन को ऊतकों तक नहीं पहुंचा पाता है। यह हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन वहन क्षमता को कम करती है। यह मानव स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अत्‍यंत हानिकारक गैस है।
  • यह गैस हीमोग्‍लोबिन अणुओं से ऑक्‍सीजन की तुलना में 240 गुना से 300 गुना अधिक तेजी से संयुक्‍त हो जाती है।
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2):
  • क्रैकिंग गैस किसे कहा जाता है- सल्फर डाइऑक्साइड।
  • किस गैस के कारण ताजमहल सबसे अधिक प्रभावित हुआ है – SO2
  • कोयले के जलने से, कागज़ के कारखानों से और लोहे की स्मेल्टिंग से उत्सर्जित।
  • स्मॉग, अम्ल वर्षा और श्वसन प्रणाली संबंधित बीमारियों के लिए जिम्मेदार।
निलंबित कणकीय पदार्थ (Suspended Particulate Matter ):
  • धुआँ, धूल और वाष्प का हवा निलंबित/लटके रहना, जिसकी वजह से धुंध छाई रहती है और दृश्यता (visibility) में कमी आ जाती है।
  • हवा में तैरते हुए श्वसनीय सूक्ष्म कणों का आकार 5 माइक्रोन से कम होता है।
  • श्वसन प्रणाली संबंधित बीमारिया।
स्मॉग (Smog):
  • सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC’s) नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन के बीच परस्पर क्रिया के कारण उत्पन्न होता है।
  • श्वसन प्रणाली संबंधित बीमारियों के लिए जिम्मेदार।
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2):
  • हाइड्रोकार्बन के दहन से उत्सर्जित।
  • मुख्य ग्रीन हाउस गैस (Green House Gas) ग्लोबल वार्मिंग के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार।
क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC):
  • वातानुकूलित और रेफ्रिजरेटर्स द्वारा उत्सर्जित गैस।
  • स्ट्रैटोस्फेयर में स्थित पृथ्वी की सुरक्षा परत ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाती है।
शीशा (Lead):
  • पेट्रोल, डीजल, लेड बैटरीज, पेंट और डाई में उपस्थित।
  • वाहनों में पेट्रोल के जलने से Lead वायु को प्रदूषित करती है – लेड।
  • इसका प्रयोग इंजन में नॉकिंग (Knocking) रोकने के लिए किया जाता है।
  • मनुष्यों पर प्रभाव: बच्‍चों में दिमाग के विकास में बाधा पहुंचाता है, उनके बुद्धिलब्धि लेवल ( IQ ) को घटाता है तथा वयस्‍कों में हृदय व श्‍वसन संबंधी बीमारियों को उत्‍पन्‍न करता है ।
ओज़ोन (Ozone):
  • प्राकृतिक रुप से स्ट्रैटोस्फेयर में स्थित पृथ्वी की सुरक्षा परत के रुप में, लेकिन धरातल पर यह एक प्रदूषक है जिसका अत्यंत विषैला प्रभाव है।
  • नवजात ऑक्‍सीजन (Nascent Oxygen – O) सूर्य के तीव्र प्रकाश की उपस्थिति में ऑक्‍सीजन के एक अणु (O2) से क्रिया करके ओजोन (O3) बना लेती है ।
  • गाड़ियों और कारखानों से उत्सर्जन।
  • आँखो में खुजली, जलन और पानी आना इसका प्रमुख दुष्प्रभाव है।
नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx):
  • स्मॉग और अम्ल वर्षा के लिए जिम्मेदार।
  • श्वसन प्रणाली संबंधित बीमारिया।
  • प्रदूषण कम करने का से प्रभाव का कार्य तरीका 4R’s : (i) Refuse (ii) Reuse (iii) Recycle (iv) Reduce
  • ओजोन, हाइड्रोजन सल्‍फाइड, कार्बन डाइऑक्‍साइड तथा कार्बन मोनोऑक्‍साइड में से जो वायु प्रदूषक सर्वाधिक हानिकारक है, वह है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड (CO)।
  • मीथेन उत्सर्जन के स्त्रोत हैं – आर्द्रभूमि, धान के खेत, कोयले की खदान, जुगाली करने वाले पशु, समुद्र इत्यादि।
  • किस स्त्रोत से सर्वाधिक मात्रा में मीथेन का उत्सर्जन होता है – आर्द्रभूमि (७६%)।
  • वनस्पतियों के सड़ने से कौन सी गैस निकलती है – मीथेन।
  • शीशे (लेड) से शरीर का कौन सा अंग प्रभावित होता है – मस्तिष्क (तंत्रिका तंत्र )।
  • बेंजीन (Benzene) से कौन सा रोग होता है – रक्त कैंसर (Leukemia)।
  • स्टोन लेप्रोसी क्या है – अम्ल वर्षा के कारण प्राचीन भवन मूर्तियों का गलना उनपे दाग धब्बे पड़ना।
  • सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली कौन सी गैस ओजोन क्षरण में भूमिका निभाती है – नाइट्रोजन ऑक्साइड ।
परऑक्सी एसिटल नाइट्रेट (Per-oxy Acetyl Nitrate – PAN) :
  • परऑक्सीएथेनॉयल रेडिकल्स, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस से मिलकर परऑक्सी एसिटल नाइट्रेट निर्माण करते हैं ।
  • मनुष्य पर प्रभाव: यह एक लैक्रिमेटरी पदार्थ है, जिसका अर्थ है कि यह मनुष्‍यों की आंखों में बहुत ज्‍यादा जलन या उत्‍तेजना पैदा करता है। जिससे आँखों से पानी गिरने लगता है।
  • पौधों पर प्रभाव: यह क्‍लोरोप्‍लास्‍ट को नुकसान पहुंचाता है। इस वजह से प्रकाश-संश्‍लेषण की क्षमता एवं पौधे का विकास कम हो पाता है।
  • यह कोशिका के माइट्रोकॉन्ड्रिया में होने वाले इलेक्‍ट्रॉन यातायात प्रणाली (Electron Transport Chain-ETC) को बाधित करता है। यह एंजाइम प्रणाली को भी प्रभावित करता है ।
स्मॉग (Smog):
  • प्रकाश रासायनिक धूम कोहरा स्मॉग में कौन सी गैस शामिल हैं – नाइट्रोजन ऑक्‍साइड (NO2), ओजोन (O3), परऑक्सी एसिटल नाइट्रेट (Per-oxy Acetyl Nitrate – PAN)।
  • Smog शब्‍द बना है – Smoke और Fog के मिलने से
  • स्मॉग बनने की दशा – जहाँ पर अधिक यातायात रहता है, गर्म, शुष्‍क और परिस्थितिया तथा तेज सूर्य विकिरण ।
भूरी वायु (NO2):
  • सूर्य विकिरण वाले क्षेत्रों में या खास मौसम में जब धूम्र कोहरा अपूर्ण रूप से बनता है, ऑक्‍सीजन व नाइट्रोजन के मिलने से नाइट्रिक ऑक्‍साइड (NO) बनती है। यह गैस वायु से मिलकर नाइट्रोजन डाइ ऑक्‍साइड (NO2) का निर्माण करती है।
  • यह भूरे रंग की तीखी गैस हैं ।
  • गर्म, शुष्‍क और तीव्र सौर विकिरण वाले महानगरों में वायुमंडलीय हाइछ्रोकार्बन और वाहनों व बिजली संयंत्रों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्‍साइड सूर्य के प्रकाशमें अभिक्रिया करके कई सारे द्वितीयक प्रदूषक बनाती है, जैसे – ओजोन, फॉर्मेल्डिहाइड और पैरॉक्‍सीएसिटिल नाइट्रेट (PAN) आदि।
  • विभिन्न प्रकार के धूल के कणों से होने वाले रोग :
    • कोयले की धूल के कारण – Black lung disease
    • सिलिका – सिलिकोसिस रोग
    • एस्बेस्टस – एस्बेस्टोसिस रोग
    • कपास की धूल – बायसिनोसिस रोग
    • अनाज की धूल – कृषक फुफ्फुस रोग (Farmer’s Lung)
    • तंबाकू की धूल – टोबैकोसिस रोग
    • गन्ने की धूल – बैगासोसिस ( इक्षुधूलिमयता )
    • लौह कण – सीडीरोसिस रोग

पार्थेनियम (गाजर घास) के परागकण से कौन सा रोग होता है – चर्म रोग एवं दमा।

लाइकेन (शैवाल + कवक) किस पर्यावरणीय प्रदूषण के सबसे अच्‍छे सूचक है – वायु प्रदूषण ।

फ्लाई एश (Fly Ash):
  • फ्लाई एश (Fly Ash) का निर्माण होता है – कोल (पत्‍थर के कोयले) के दहन से।
  • यह कोयला आधारित ताप विद्युत घरों में कोयले के दहन से उत्‍पन्‍न होता है, इस सूक्ष्‍म पाउडर से जीवों में श्‍वशन संबंधी रोग होते हैं ।
  • इसे वायु में मिलने से रोकने के लिए इलेक्‍ट्रोस्‍टेटिक अवक्षेपक (Electrostatic Precipitator) या अन्‍य कण निस्‍यंदन उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Trachedy):

  • भोपाल गैस त्रासदी की घटना हुई थी – 3 दिसंबर, 1984 को
  • यह घटना किसके कारण हुई थी – यूनियन कार्बाइड फैक्‍ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस के रिसाव।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • इटाई- इटाई रोग किसके कारण होता है – कैडमियम (Cd) ।
  • ‘एशियाई ब्राउन क्‍लाउड’ या एशियाई भूरा बादल उत्‍पन्‍न होता है – वायु प्रदूषण के कारण
  • ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) रोकने के लिए कार्बन टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखने वाला विश्व का प्रथम देश था – न्यूजीलैंड ।
  • एक रंगहीन, गंधहीन रेडियोएक्टिव अक्रिय गैस है – रेडान
  • फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer) तथा रक्‍त कैंसर होने की संभावना होती है – रेडान गैस से
  • सिगरेट के धुएं में मुख्‍य प्रदूषक है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड व बैन्‍जीन
  • घरों में पुताई के लिए इस्‍तेमाल किए जाने वाले पेंट में असुरक्षित स्‍तर तक है – सीसे की मात्रा
  • मनुष्‍य के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्‍क को नुकसान पहुंच सकता है – सीसे की अधि‍क मात्रा से
  • ऐेस्‍बेस्‍टस जहरीला पदार्थ है, इसकी धूल से हो सकता है – फेफड़े का कैंसर
  • पारे की विषाक्‍तता से उत्‍पन्‍न होती हैं – उदर संबंधी समस्‍याएं
  • रक्‍त में घुलकर कोशिकीय श्‍वसन को बाधित करती है तथा यह हृदय को क्षति पहुंचाती है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • मानव शरीर में कैंसर उत्‍पन्‍न कर सकते हैं – नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड
  • वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए गाड़ियों में लगाया जाता है – कैटालिटिक कन्वर्टर (Rhodium, Palladium and Platinum से बना ) ।
  • एयर पोलूशन प्रीवेंशन एक्ट एंड कंट्रोल बिल लाया गया था – 1981 में।
  • मोटर कारों में प्रदूषण जाँच के समय किसकी जाँच की जाती है – शीशा एवं कार्बन कण की।
  • मोटर वाहनों से निकलने वाली मुख्य प्रदूषक गैस हैं / सामान्‍य स्थितियों में वातावरण में प्रदूषण उत्‍पन्‍न करने वाली गैस है – कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)।
  • शीशा रहित पेट्रोल में उच्च ऑक्टेन मान प्राप्त करने के लिए मिलाया जाता है – बेंजीन, टॉल्यून एवं जाइलिन।

जल प्रदूषण (Water Pollution):

जल प्रदूषण से फैलने वाले रोग हैं – एंथ्रेक्स, बोटलिज्म, प्लेग, चेचक, तुलारेमिया (Tularemia – Rabbit Fever)।

BOD ,COD and DO :

  • जल के गुणवत्ता का निर्धारण किया जाता है – जैव ऑक्सीजन मांग ( BOD),  रसायनिक ऑक्सीजन मांग (Chemical Oxygen Demand – COD) , घुली ऑक्सीजन Dissolved Oxygen – DO) तथा pH मान।
  • जैविक ऑक्‍सीजन मांग (Biological Oxygen Demand) यह एक प्रकार का जलीय प्रदूषण सूचकांक है।
  • BOD का अधिक होना, जल के संक्रमित होने को  दर्शाता है।
  • कार्बनिक अपशिष्‍ट (जैसे-सीवेज) की मात्रा बढ़ने से, अपघटन की दर बढ़ जाती है तथा O2 का उपयोग भी इसी के साथ-साथ बढ़ जाता है। इसके फलस्‍वरूप जल में घुली ऑक्‍सीजन (DO) की मात्रा घट जाती है।
  • कुछ ही सहनशील प्रजातियों के जीव तथा कुछ कीटों के डिंब ही बहुत अधिक प्रदूषित तथा कम DO वाले जल में जीवित रह सकते हैं, जैसे – ऐनेलीड।
  • जिस जलाशय के DO का मान 8 mg/L से नीचे हो जाता है। उसे रखा जाता है – संक्रमित(Contaminated) जल की श्रेणी में।
  • किसी जल क्षेत्र में BOD की अधिकता संकेत देती हे कि उसका जल – सीवेज से प्रदूषित हो रहा है।
  • नदी में जल प्रदूषण के निर्धारण के लिए ऑक्‍सीजन की घुली हुई मात्रा मापी जाती है।
  • गंगा नदी में बी. ओ. डी. सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है – कानपुर एवं इलाहाबाद के मध्‍य

भूमिगत जल के प्रमुख प्रदूषक तत्व हैं – आर्सेनिक एवं फ्लोराइड ।

आर्सेनिक (As):

  • यह भारत के कई भागों में भूमिगत जल को संक्रमित करता है। इसका स्त्रोत प्रकृति में पाया जाने वाला भूमिगत बेडरॉक (Bed Rock) है।
  • भू-जल के जरिए आर्सेनिक अनाज में पहुंच रहा है। इससे समूची खाद्य श्रृंखला प्रभावित हो रही है ।
  • विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ( H.O.) के मानक के अनुसार पीने योग्य पानी में आर्सेनिक की अधिकतम मात्रा की अनुमति है – 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर।
  • मनुष्यों पर प्रभाव: आर्सेनिक के लगातार संपर्क से ब्‍लैक फुट (Black Foot) नामक बिमारी हो जाती है।
  • धान का पौधा आर्सेनिक का बेहतर अवशोषक माना जाता है ।
  • भारत के गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानी इलाकों तथा बांग्‍लादेश के पद्मा-मेघना के मैदानी इलाकों में भूमिगत जल अत्‍यधिक प्रदूषित है – आर्सेनिक प्रदूषण से।
  • भारत के सात राज्‍यों – पश्चिम बंगाल (आर्सेनिक द्वारा सर्वाधिक जल प्रदूषण ), झारखंड, बिहार, उत्‍तर प्रदेश, असम, मणिपुर तथा छत्‍तीसगढ़ के राजनांदगांव में भूमिगत जल आर्सेनिक प्रदूषण से अत्‍यधिक प्रभावित है।
  • उर्वरक के अत्‍यधिक प्रयोग से होता है – मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण
  • यह प्रदूषण विभिन्‍न प्रकार के फसलों के माध्‍यम से मानव एवं पशुओं के आहार श्रृंखला में भी पहुंचता है तथा विभिन्‍न प्रकार की गंभीर बीमारियों से मनुष्‍य एवं पशुओं को ग्रस्‍त करता है – उर्वरक

सुपोषण (Eutrophication) :

  • जब जल में जैविक तथा अजैविक दोनों प्रकार के पोषक तत्‍वों की वृद्धि हो जाती है, तो जल में पौधों और शैवाल की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है परिणाम स्वरुप जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है, इस घटना को सुपोषण कहते हैं।
  • अकार्बनिक पोषक तत्‍व जैसे फॉस्‍फेट तथा नाइट्रेट जल में घुलकर जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में आ जाते हैं। यह जलीय पारिस्थितिकीतंत्र में सुपोषण बढ़ाते हैं ।
  • अत्‍यधिक पोषक तत्‍वों की उपस्थिति में शैवालों का विकास तेजी से होने लगता है। इसे कहते हैं – शैवाल ब्‍लूम (Algal BIoom)।

कोयला उद्योग में शामिल लोगों में कौन सी बीमारी होती है – न्यूमोकोनियोसिस ।

राष्ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण का गठन – 1995 में।

गंगा के तटीय क्षेत्रों में किस प्रदूषक तत्व की सर्वाधिक मात्रा पाई जाती है – आर्सेनिक (As)।

जल में कार्बनिक यौगिकों का मापन किस विधि से किया जाता है – क्रोमेटोग्राफी (Chromatography)।

फ्लोराइड की अधिकता के कारण होने वाला रोग – फ्ल्यूरोसिस रोग ।

तालाब में तैरने वाले मनुष्य की त्वचा जल जाती है – क्लोरीन के कारण।

जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम – 1974 में।

बायोगैस में सर्वाधिक मात्रा में कौन सी गैस पायी जाती है – मेथेन (60%)

केंद्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड की स्थापना कब हुई थी – 1953 में।

जैवोपचारण (Bioremediation):

  • यह प्रकृति में घटित होने वाली जैव निम्‍नीकरण प्रक्रिया का ही संवर्धन कर प्रदूषण को स्‍वच्‍छ करने की तकनीक है।
  • इसमें किसी विशेष स्‍थान पर पर्यावरणीय विषैले (Toxic) प्रदूषकों के हानिकारक प्रभाव को जीवों द्वारा समाप्‍त किया जा सकता है। यह जैव रासायनिक चक्र के माध्‍यम से कार्य करता है।
  • स्‍व-स्‍थाने जैवोपचारण (In-Situ Bio-remediation): जैवोपचारण यदि प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र में किया जाता है, तो इसे स्‍व-स्‍थाने जैवोपचारण कहा जाता है ।
  • बाह्य-स्‍थाने जैवोपचारण (Ex-Situ Bio-remediation): जैवोपचारण यदि प्रदूषित पदार्थ को किसी अन्‍य जगह पर ले जाकरकिया जाता है, तो इसे बाह्य-स्‍थाने जैवोपचारण कहते हैं।

अम्ल वर्षा (Acid Rain):

सामान्‍यतया ऐसी वर्षा जिसका pH मान 5-6 से कम हो, कहलाती है – अम्‍ल वर्षा।

उद्योगों और यातायात के उपकरणों से निस्‍सृत एवं प्रकृति में होने वाली विभिन्‍न क्रियाओं के फलस्‍वरूप उत्‍पन्‍न सल्‍फर डाइऑक्‍साइड तथा नाइट्रस ऑक्‍साइड गैसें वायुमंडल में पहुंचकर, ऑक्‍सीजन और बादल के जल के साथ रासायनिक अभिक्रिया कर क्रमश: सल्फ्यूरिक अम्‍ल तथा नाइट्रिक अम्‍ल बनाकर ओस अथवा वर्षा की बूंदों के रूप में पृथ्‍वी पर गिरती हैं। यही अम्‍ल वर्षा कहलाती है।

अम्ल वर्षा से सर्वाधिक प्रभावित देश है – नार्वे एवं स्वीडन ।

अम्ल वर्षा होने का सर्वप्रथम जिस देश में पता चला – स्वीडन ।

किस देश में सर्वाधिक अम्ल वर्षा होती है – नार्वे।

अम्ल वर्षा के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है – कारखाने ।

अम्‍ल वर्षा को कहा जाता है – झील कातिल (Lake Killer)।

अम्‍ल वर्षा जहरीली धातुओं को उनके प्राकृतिक रासायनिक यौगिकों से टूटने में मदद करती है। ये धातु पीने योग्‍य जल एवं मृदा में प्रवेश कर दुष्‍प्रभाव डालते हैं – बच्‍चों के तंत्रिका तंत्र पर।

अधिक अम्‍लता के कारण अम्‍ल वर्षा के हाइड्रोजन आयन (H+) एवं मृदा के पोषक धनायन ( यथा K+ , Ca++ एवं Mg++) के बीच आदान-प्रदान होता है। इसके फलस्‍वरूप पोषक तत्‍वों का निक्षालन (Leaching) हो जाता है एवं मृदा की उर्वरता समाप्‍त हो जाती है ।

अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर सल्‍फर के उत्‍सर्जन में कमी का प्रयास किया जा रहा है – हेलसिंकी प्रोटोकॉल (1985) के तहत ।

शंकुधारी वृक्षों के घने कैनौपी में पत्तियों के भूरे रंग के लिए उत्‍तरदायी होता है – अम्‍ल वर्षा का निक्षेप।

अम्‍लीयता का लगभग आधा हिस्‍सा वायुमंडल से पृथ्‍वी पर स्‍थानांतरित होकर जमा होता है – शुष्‍क रूप में।

मथुरा की तेलशोधनशालाओं से उत्‍सर्जित SO2 से उत्‍पन्‍न अम्‍ल वर्षा, क्षति पहुंचा रही है – ताजमहल के सौंदर्य को।

ताजमहल पर अम्‍ल वर्षा से जनित हानिकारक प्रभाव को रोकने के लिए भारत सरकार दवारा विकसित किया गया है – ताज ट्रेपिजियम जोन ( Taz Trapezium Zone) ।

SO2 को कैकिंग गैस (Cracking Gas) भी कहते हैं, क्‍योंकि यदि लगातार यह पत्‍थर पर प्रवाहित की जाए, तो पत्‍थर हो जाता है – क्षत-विक्षत ।

मरूस्‍थलीय क्षेत्र में शुष्‍क से आर्द्र निक्षेप का अनुपात उच्‍च रहता है, क्‍योंकि वहां पर ज्‍यादा होता है – शुष्‍क जमाव।

अम्‍लीय वर्षा, अम्‍लीय कोहरे और अम्‍लीय धुंध को सम्मिलित रूप से कहा जाता है – अम्‍ल निक्षेप।

फाइटोनिष्‍कर्षण (Phytoextraction) : प्रदूषकों को जड़ों व पत्तियों में संगृहीत कर जैवोपचार की क्रिया करना फाइटोनिष्‍कर्षण (Phytoextraction) कहलाता है ।

लवणीय मृदा के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है – जिप्सम एवं पाइराइट्स ।

ध्वनि (Sound Pollution)

  1. ध्वनि तीव्रता (Intensity of Sound) की मापन की इकाई है – डेसिबल (decibel -dB)।
  2. औद्योगिक क्षेत्र में स्वीकार्य मानक ध्वनि तीव्रता है – 75 dB (डेसिबल)।
  3. आवासीय क्षेत्र में स्वीकार्य मानक ध्वनि तीव्रता है – 55 dB (डेसिबल)।
  4. किस ध्वनि तीव्रता पर श्रवण शक्ति (Hearing Ability) में ह्रास होने लगता है- 90 डेसीबल ।
  5. सामान्य बातचीत में करने में ध्वनि तीव्रता कितनी होती है- 60 डेसीबल। फुसफुसाहट में ध्वनि तीव्रता कितनी होती है – 30 डेसीबल।
  6. रॉकेट इंजन में ध्वनि तीव्रता होती है – 180 डेसीबल ।
  7. ध्वनि की आवृत्ति (Frequency) मापी जाती है – हर्ट्ज (hertz- Hz)।
  8. मानव के लिए श्रव्य ध्वनि (Audible Frequency) का परास है – 20 Hz से 20 kHz तक ।
  9. पराश्रव्य ध्वनि तरंग (Ultrasonic sound waves) की आवृत्ति होती है – 20,000Hz से अधिक।
  10. समुद्र की गहराई मापने (SONAR), सिग्नल देने में, छुपी वस्तुओं का पता लगाने में किस ध्वनि तरंग का प्रयोग किया जाता है – पराश्रव्य ध्वनि तरंग।
  11. समान्यतया ध्वनि तरंग का वेग (Velocity of Sound Wave) कितना होता है – 332 मीटर प्रति सेकंड ।
  12. ध्‍वनि की गति से तेज चलने वाले जेट विमानों से उत्‍पन्‍न शोर को कहते है – सोनिक बूम (Sonic Boom)
  13. सोनिक बूम को व्‍यक्‍त किया जाता है – मैक इकाई (Mach Unit) में
  14. जो वस्‍तुएं ध्‍वनि की रफ्तार से चलती हैं, उनके वेग को कहते है : मैक-1
  15. जेट विमानों की गति को मापा जाता है – मैक इकाई में।
  16. न्यूरोटिक मेंटल डिसऑर्डर का कारण है – ध्वनि प्रदूषण ।
  17. विशालकाय हरे पौधे अधिक ध्‍वनि प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रोपित किए जाते हैं क्‍योंकि उनमें ध्‍वनि तंरगों को अवशोषित करने की क्षमता होती है। ध्‍वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले ये हरे पौधे कहलाते हैं – ग्रीन मफ्लर
  18. भारत सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू किया था – 1986 में।

Nuclear Pollution and Radiation

  1. रेडियोधर्मी प्रदूषण के मापने की इकाई है – रोएंटजन (Roentgen)।
  2. एक्स-रे किरणों की खोज किसने की – विल्हेम रोएंटजेन ( W.C. Roentgen) ।
  3. भारत में सर्वाधिक रेडियोधर्मी प्रदूषण कहाँ पाया जाता है – केरल में ।
  4. जीरोडर्मा पिगमेंटोसम (Xeroderma pigmentosum – XP) बीमारी किसके कारण होती है – पराबैंगनी किरणों की वजह से हुए mutations के कारण ।
  5. नाभिकीय विकिरण अवपात से बचने के लिए खाया जाता है – पोटैशियम आयोडाइड।
  6. सौर विकिरण पृथ्वी पर प्राप्त होती है- विद्युत चुंबकीय लघु तरंगों के रूप में।
  7. पृथ्वी द्वारा पार्थिव विकिरण छोड़ी जाती है – विद्युत चुंबकीय दीर्घ तरंगों के रूप में।
  8. उपग्रह संचार में किस तरंग का प्रयोग होता है – माइक्रोवेव (Microwave)।
  9. टी० वी० प्रसारण प्रसारण में किन तरंगों का प्रयोग होता है – रेडियो तरंगों (Radio Waves) का।
  10. कोहरे के आर-पार देखने में सहायक तरंग है – अवरक्त विकिरण (Infra- Red Rays)।
  11. अल्फा, बीटा और गामा में किसकी भेदन क्षमता (Penetration Power) अधिक है – गामा किरणों की ।
  12. अंटार्कटिका में ओजोन परत का सर्वाधिक विनाश होता है – सितंबर & अक्टूबर माह में ।
  13. उत्तरी गोलार्ध में ओजोन परत का सर्वाधिक विनाश होता है – मार्च & अप्रैल माह में ।

Others Facts

  1. ओजोन परत की मोटाई नापने की इकाई है – डेबसन (dabson) ।
  2. मानव जनित पर्यावरण प्रदूषण कहलाते हैं – परजैविक / ह्यूमेलिन।
  3. पॉलि‍थीन:  इसकी खोज 1953 ई. इटली के रसायनशास्‍त्री गिलियो नत्‍ता और कार्ल जिगलर (जर्मनी) ने की। इन्‍होंने सर्वप्रथम देखा कि कार्बन एवं हाइड्रोजन के कण आपस में एक श्रृंखला बनाते हैं तथा एकल बन्‍ध एवं द्विबन्‍ध के रूप में स्‍थापित हो जाते हैं। यह एथिलीन C2 H4 का पॉलीमर (बहुलक) होता है।  इस खोज के लिए गिलियो नत्‍ता एवं कार्ल जिगलर को 1963 ई. में रसायन का नोबेल पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ।
  4. सिगरेट का टुकड़ा, चमड़े का जूता, फोटो फिल्‍म तथा प्‍लास्टिक का थैला में से जिसके क्षय होने में सबसे अधिक समय लगता है – प्‍लास्टिक का थैला।
  5. वह वस्‍तु जो जीवाणुओं से नष्‍ट नहीं होती – प्‍लास्टिक।
  6. किस औद्योगिक मलबे से सर्वाधिक रासायनिक प्रदूषण होता है – चमड़ा उद्योग ।
  7. फ्रिऑन (Freon) क्या है – क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC)।
  8. रूस में चेर्नोबिल (Chernobyl) स्थित परमाणु केंद्र में नाभिकीय दुर्घटना हुई थी – 26 अप्रैल, 1986 को
  9. विघटित होते रेडियोएक्टिव न्‍यूक्‍लाइड्स से उत्‍पन्‍न होने वाला विकिरण स्रोत है – रेडियोएक्टिव प्रदूषण का
  10. विकिरणों के प्रभाव से जीवों के आनुवंशिक गुणों पर भी पड़ता है – हानिकारक प्रभाव
  11. अपने प्रदूषकों के कारण ‘जैविक मरूस्‍थल’ कहलाती है – दामोदर
  12. सरसों के बीच के अपमिश्रक के रूप में सामान्‍यत: निम्‍नलिखित में से किसे प्रयोग में लाया जाता है – आर्जीमोन के बीज
  13. आर्जीमोन मैक्सिकाना मेक्सिको में पाई जाने वाली पोस्‍ते की एक प्रजाति है। सरसों के तेल में इसकी मिलावट से महामारी फैल सकती है – ड्रॉप्‍सी नामक
  14. पेंट उद्योग के श्रमिकों को सामना करना पड़ता है – शीशा प्रदूषण (Lead Pollution) का।
  15. मिनीमाता रोग का कारण है – पारा (मरकरी )।
  16. अनाजों और तिनहनो के अनुपयुक्‍त रखरखाव और भंडारण के परिणामस्‍वरूप आविषों का उत्‍पादन होता है, जिन्‍हें एफ्लाटॉक्सिन के नाम से जाना जाता है, जो सामान्‍यत: भोजन बनाने की आम विधि द्वारा नष्‍ट नहीं होते। जिसके द्वारा उत्‍पादित होते हैं, वह है – फफूंदी
  17. मुख्‍यतया, एस्‍पर्जिलस फ्लेवस (Aspergillus flavus) के द्वारा उत्‍पन्‍न होता है। – एफ्लाटॉक्सिन (Aflaoxin)
  18. एफ्लाटॉक्सिन में एक कैंसर जनक पदार्थ (Carcinogen) होता है, जो उत्‍पप्न्‍न्‍ करता है। – यकृत कैंसर Environment Notes For Prathmik Shikshak Samvida Varg 3
  19. वायु प्रदूषण की रोकथाम की एक यंत्रीय विधि नहीं है – साइक्‍लोन डिवाइडर
  20. कारखानों की चिमनियों से निस्‍सृत धुएं तथा कालिख के साथ मिश्रित कणकीय पदार्थों को अलग करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले विशिष्‍ट फिल्‍टर को कहते हैं – बैग फिल्‍टर
  21. 50 माइक्रोमीटर से कम व्‍यास वाले कणकीय पदार्थों को पृथक करने के लिए प्रयोग किया जाता है – बैग फिल्‍टर का
  22. रेडियोधर्मी प्रदूषण से संबंधित सही कथन हैं – यह पशुओं में आनुवांशिकी परिवर्तन लाता है, यह रक्‍त संचार में व्‍यवधान पैदा करता है, यह कैंसर पैदा करता है
  23. यह तेलीय पंक तथा बिखरे हुए तेल के उपचार हेतु पारिस्थितिकी के अनुकूल विकसित प्रौद्योगिकी है – आयलजैपर
  24. ऑयल जैपर एक बैक्‍टीरिया संकाय है। यह पांच बैक्‍टीरिया को मिलाकर विकसित किया गया है। इसमें उपस्थित बैक्‍टीरिया तेल में मौजूद हाइड्रोकार्बन यौगिकों को अपना भोजन बनाते हैं तथा उनको परिवर्तित कर देते हैं – हानिरहित CO 2 एवं जल में
  25. अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री संगठन का मुख्‍यालय स्थित है – लंदन में
  26. यह संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की विशेष एजेंसी है जिस पर अंतरराष्‍ट्रीय नौवहन के सुरक्षा सुधार संबंधी उपया करने और पोतों से होने वाले समुद्रीप्रदूषण की रोकथाम की जिम्‍मेदारी है। यह संस्‍था उत्‍तरदायित्‍व और मुआवजा से संबंधित वैधानिक मामलों को देखने के अलावा अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री यातायात को सुविधाजनक बनाने का कार्य करती है – अंतरराष्‍ट्रीयसमुद्री संगठन (International Maritime Organization – IMO)
  27. जैव शौचालय प्रणाली में अपशिष्‍ट पदार्थों को विखंडित कर उसे पानी और गैस (मेथेन) में परिवर्तित कर देता है ‘ अवायवीय जीवाणु
  28. जैव शौचालय प्रणाली में पानी को टैंक में जमा कर उसे क्‍लोरीन की मदद से साफ कर दिया जाता है जबकि गैस हो जाती है – वास्‍पीकृत
  29. भारत के कुछ भागों में पीने के जल में प्रदूषक के रूप में पाए जाते हैं – आर्सेनिक, फ्लुओराइड तथा यूरेनियम
  30. ‘नॉक-नी संलक्षण’ उत्‍पन्‍न होता है – फ्लुओराइड के प्रदूषण द्वारा
  31. यद्यपि पानी में अल्‍प मात्रा में उपलब्‍ध होता है जो मसूड़ों और दांतों को संरक्षण प्रदान करता है परंतु इसका अत्‍यधिक सांद्रण (Excess Concentration) फ्लुओराइड को ग्रहण (Intake) करने के परिणामस्‍वरूप संभावना बढ़ जाती है – कूबड़पीठ (Humped back) होने की
  32. पैरों के मुड़ने (Bending) का कारण होता है, जिसे ‘नॉक-नी संलक्षण’ कहते हैं – उच्‍च फ्लुओराइड संग्रहण
  33. कैल्शियमी पादपप्‍लवक की वृद्धि और उत्‍तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी, प्रवाल-भित्ति की वृद्धि और उत्‍तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी। कुछ प्राणी जिनके डिम्‍भक पादपप्‍लवकीय होते हैं, की उत्‍तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी – महासागरों के अम्‍लीकरण के कारण
  34. CO2 के लिए एक भंडार गृह की तरह कार्य करता है – समुद्र
  35. यूरो उत्‍सर्जन नियम, उत्‍सर्जन के मानक हैं और ये एक वाहन से उत्‍सर्जन के लिए सीमा निर्धारित करने के पैकेज प्रदर्शित करते हैं। इसके अंतर्गत आच्‍छादित है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड, हाइड्रोकार्बन तथा नाइट्रोजन ऑक्‍साइड
  36. यूरोपीय देशों में वर्ष 1992 में यूरो मानक-। तथा वर्ष 1997 में लागू कर दिया था – यूरो मानक-।।
  37. वाहनों से निकलने वाले प्रदूषकों को नियंत्रित करने के लिए चरणबद्धरूप से यूरो मानकों को भारत में क्रियान्वित करने की संस्‍तुति की थी – माशेलकर समिति ने
  38. स्‍वच्‍छ परिवहन पर अंतरराष्‍ट्रीय परिषद (The Internation Council Clean Transportation : ICCT) ने भारत को इस बात की छूट दी है कि वह वर्ष 2020 में यूरो V के बदले अपना सकता है – सीधे यूरो VI को
  39. BS-IV मानक भारत में लागू कर दिया गया है – 1 अप्रैल, 2017 से
  40. यूरो-।। मानकों को पूरा करने के लिए अति अल्‍प सल्‍फर डीजल में सल्‍फर की मात्रा होनी चाहिए – 0.05 प्रतिशत या इससे कम
  41. यूरो नार्म्‍स स्‍वचालित वाहनों में एक गैस उत्‍सर्जन की मात्रा की सीमा निश्चित करते हैं। यह गैस है – कार्बन मोनो ऑक्‍साइड
  42. हमारे देश के शहरों में वायु गुणता सूचकांक (Air Quality Index) का परिकलन करने में साधारणतया वायुमंडलीय गैसों में विचार में लिया जाता है – कार्बन मोनो ऑक्‍साइड, नाइट्रोजन डायऑक्‍साइड तथा सल्‍फर डायऑक्‍साइड
  43. भारत में आठ मुख्‍य प्रदूषकों के आधार पर बनाया जाता है – वायु गुणता सूचकांक (Air Quality Index)
  44. शहरों में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा राष्‍ट्रीय वायु गुणवत्‍ता सूचकांक (National Air Quality Index : NAQI) जारी किया गया था – 17 अक्‍टूबर, 2014 को
  45. यह सूचकांक शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्‍तर बताने के लिए एक संख्‍या-एक रंग-एक विवरण (One Number-One Colour-One Discription) के रूप में कार्य करता है। उल्‍लेखनीय है कि इस पहल को आरंभ किया गया है – स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत
  46. वाहनों में उत्‍सर्जित कार्बन मोनो ऑक्‍साइड (CO) को कार्बन डाइ ऑक्‍साइड (CO2) में परिवर्तित करने वाली उत्‍प्रेरक परिवर्तन की सिरेमिक डिस्‍क स्‍तरित होती है – पैलेडियम से
  47. उर्वरक, पीड़कनाशी, कीटनाशी और शाक-नाश्‍ी मृदा के प्राकृतिक, भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों को नष्‍ट करके मृदा को बेकार कर देते हैं। रासायनिक उर्वरक नष्‍ट कर देते हैं – मृदा के सूक्ष्‍म जीवों को
  48. भारत के जिस महानगर में वार्षिक प्रति व्‍यक्ति सर्वाधिक ठोस अपशिष्‍ट उत्‍पन्‍न होता है – दिल्‍ली
  49. कई घरेलू उत्‍पादों, जैसे गद्दो और फर्नीचर की गद्दियों (अपहोल्‍स्‍टरी), में ब्रोमीनयुक्‍त ज्‍वाला मंदकों का उपयोग किया जाता है। उनका उपयोग कुछ चिंता का विषय है, क्‍योंकि – उनमें पर्यारण में निम्‍नीकरण के प्रति उच्‍च प्रतिरोधकता है, वे मनुष्‍यों और पशुओं में संचित हो सकते हैं
  50. रासायनिक, जैविक तथा फोटोलिटिक (Photolytic) प्रक्रियाओं द्वारा पर्यावरण में निम्‍नीकरण के प्रति प्रतिरोधी कार्बनिक यौगिकोंको कहते हैं – पॉप्‍स (POPs : Persistent Organic Pollutants)अर्थात् चिरस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषक
  51. ‘स्‍थायी जैव प्रदूषकों पर स्‍टॉकहोम अभिसमय’ (Stockholm Convention on Persistent Organic Pollutants) द्वारा कुछ चिरस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषकों की सूची में शामिल किया है – ब्रोमीन युक्‍त ज्‍वाला मंदकों‘ (Brominated Flame Retardants) को
  52. विभिन्‍न उत्‍पादों के विनिर्माण में उद्योग द्वारा प्रयुक्‍त होने वाले कुछ रासायनिक तत्‍वों के नैनों-कणों के बारे में कुछ चिंता है, क्‍योंकि – वे पर्यावरण में संचित हो सकते हैं तथा जल और मृदा को संदूषित कर सकते हैं, वे खाद्य श्रृंखलाओं में प्रविष्‍ट हो सकते हैं, वे मुक्‍त मूलकों के उत्‍पादन को विमोचित कर सकते हैं
  53. झारखंड राज्‍य गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण गठित हुआ – वर्ष 2009 में
  54. जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम लागू हुआ – वर्ष 1974 में
  55. विश्‍व जल संरक्षण दिवस मनाया जाता है – 22 मार्च को
  56. जैविक संसाधन नहीं है – शुद्ध जल
  57. भारत सरकार द्वारा ‘केंद्रीय गंगा प्राधिकरण’ का गठन किया गया – वर्ष 1985 में
  58. सितंबर, 1995 में इसका नाम बदलकर ‘राष्‍ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण’ (NRCA) कर दिया गया – केंद्रीय गंगा प्राधिकरण का
  59. नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी की स्‍थापना की गई – फरवरी, 2009 में
  60. केंद्रीय बजट, 2014 में समन्वित गंगा संरक्षण अभियान को कहा गया है – नमामि गंगे
  61. राष्‍ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGBRA) का गठन किया गया है – फरवरी, 2009 में
  62. NGBRA का लक्ष्‍य है कि गंगा को उसमें प्रवाहित होने वाले औद्योगिक उपशिष्‍ट व अशोधित सीवेज जल से मुक्ति दिला दी जाए – वर्ष 2020 तक
  63. वर्ष 2009 में भारत ने स्‍वच्‍छ गंगा के लिए स्‍थापित किया – राष्‍ट्रीयगंगा नदी तलहटी प्राधिकरण
  64. जिस पर्यावरणविद् को ‘जल पुरुष’ के नाम से जाना जाता है – राजेंद्र सिंह
  65. ‘तरुण भारत संघ’ नामक गैर सरकारी संगठन के चेयरमैन हैं – राजेन्‍द्र सिंह
  66. पीने के पानी को शुद्ध करने के लिए प्रयोग में जिसे लाया जाताहै – क्‍लोरीन को
  67. मरुस्‍थल क्षेत्रों में जल ह्रास को रोकने के लिए पर्ण श्रपांतरण होता है – कठोर एवं मोमी पर्ण, लघु पर्ण अथवा पर्णहीनता, पर्ण की जगह कांटों में
  68. रेगिस्‍तान में पाए जाने वाले पौधों की पत्तियां जल-हानि को रोकने के लिए प्राय: बदल जाती हैं – कांटों में
  69. गंगा नदी डॉल्फिन की समष्टि में ह्रास के लिए शिकार-चोरी के अलावा और क्‍या संभव कारण हैं? – नदियों पर बांधों और बराज़ों का निर्माण, संयोग से मछली पकड़ने के जालों में फंस जाना, नदियों के आस-पास के फसल-खेतों में संश्लिष्‍ट उर्वरकों और अन्‍य कृषि रसायनों का इस्‍तेमाल

फ्रिऑन (Freon) क्या है ?

उत्तर : यह क्लोरोफ्लोरोकार्बन (Chlorofloro Carbon – CFC) नामक एक गैस हैं, जो रेफ्रिजरेटर में कूलेंट के रूप में प्रयोग होती है।

X-Ray किरणों की खोज किसने की ?

उत्तर: विल्हेम रोएंटजेन ( W.C. Roentgen) ने।

सुपोषण (Eutrophication) क्या है?

उत्तर: जब जल में जैविक तथा अजैविक दोनों प्रकार के पोषक तत्‍वों की वृद्धि हो जाती है, तो जल में पौधों और शैवाल की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है परिणाम स्वरुप जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है, इस घटना को सुपोषण (Eutrophication) कहते हैं।

इटाई- इटाई रोग किसके कारण होता है ?

उत्तर: कैडमियम (Cd) की विषाक्तता से।

स्टोन लेप्रोसी (Stone Leprosy) क्या है ?

उत्तर : अम्ल वर्षा के कारण प्राचीन भवन, मूर्तियों का गलना, खराब होना उनपे दाग धब्बे पड़ने को स्टोन लेप्रोसी (Stone Leprosy) कहते है।

4 basic Conservation Law Additive nature of charge Applications of concept of Accuracy and Precision Applications of Dimensional Analysis Class 5 Maths Combination of Error Conservation of charge Constant Error Detection and measurement of charge: Gold-leaf electroscope Determine the value of the Planck's constant Difference between Accuracy and Precision Ecological Pyramid Electric Charge Electromagnetic Spectrum Electron Emission Electrostatics EM Waves Test Paper Examples of Force in Daily Life Fundamental Forces in Nature Graph between momentum and velocity Hindi grammar Hindi Vyakaran Notes Inertia Instrumental Error Least Count Error Levels of Organization in Ecology limitations of dimensional analysis Measurement of Errors Momentum Nitrogen Fixation Physics Principle of Homogeneity Properties of Electric Charge Quantization of charge quiz Reductionism Relation between Kinetic energy and momentum RO/ARO Hindi Vyakaran Syllabus Systematic Errors Transverse Nature of Electromagnetic Waves Types of Error Unification UP Special GK पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर्यावरण के घटक (Components of Environment)

पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution

पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution

पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution पर्यावरण प्रदूषण Environmental Pollution

FLN TRAINING

Share the knowledge spread the love...

You cannot copy content of this page.