भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Bhartiya Rashtriya Congress)
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Bhartiya Rashtriya Congress) की स्थापना A. O. Hume द्वारा 28 दिसंबर 1885 को मुंबई में की गई। ए० ओ० ह्यूम एक निष्पक्ष न्याय प्रिय ICS अधिकारी थे जिन्हे भारतीयों से लगाव था।
INC की स्थापना के लिए पृष्ठभूमि (Bhartiya Rashtriya Congress) :
ब्रिटिश गवर्नमेंट द्वारा भारतीयों का अत्यधिक शोषण किए जाने से भारतीय समाज में घोर असंतोष व्याप्त था, समय-समय पर कई क्रांतिकारी हिंसक घटनाएं भी हुई थी जैसे १८५७ की क्रांति। इससे बचने के लिए एक अखिल भारतीय संगठन की आवश्यकता थी जो सरकार के समक्ष भारतीय लोगों की जायज मांगें रख सके और सरकार की त्रुटियों के बारे में भी बताएं।
ए० ओ० ह्यूम ने 1883 में कोलकाता यूनिवर्सिटी के स्नातकों के नाम एक खुला पत्र लिखा “भारतीय राष्ट्र का बौद्धिक, सामाजिक और राजनीतिक पुनर्जागरण हो सके और उसके लिए अनुशासित और सुसज्जित सेना तैयार हो सके” उन्होंने आगे कहा कि “यदि 50 शिक्षित युवक ही स्वार्थ त्याग दे और संगठित होकर देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयास करें तो कार्य अत्यंत सरल हो सकता है”। ह्यूम कि इस बात से शिक्षित भारतीय प्रभावित हुए और एक संगठन बनाने के बारे में सोचने लगे।
तत्कालीन समय में १८८४ में थियोसोफिकल सोसायटी का अधिवेशन मद्रास में हुआ, इसी अधिवेशन में मद्रास के दीवान रघुनाथ राव के निवास पर १७ संस्थापक सदस्यों की मौजूदगी में Indian National Union ( भारतीय राष्ट्रीय संघ ) की स्थापना हुई। ए० ओ० ह्यूम ने अपनी योजना तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डफरिन को समझायी। डफरिन की अप्रत्यक्ष मंजूरी मिलने के बाद ह्यूम ने अपनी योजना पर कार्य करना शुरू किया।
INC की स्थापना (Bhartiya Rashtriya Congress) :
- 28 दिसंबर 1885 को मुंबई में भारतीय राष्ट्रीय संघ (INU) की बैठक बुलाई गयी और वहां पर Indian National Union ( भारतीय राष्ट्रीय संघ ) का नाम बदलकर Indian National Congress ( भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ) रख दिया गया। इसी दिन ए० ओ० ह्यूम ने घोषणा की कि 28 दिसंबर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक सम्मेलन पुणे में आयोजित होगा, लेकिन पूना में प्लेग फैल जाने के कारण INC (Indian National Congress) का पहला अधिवेशन मुंबई में हुआ।
- स्थापना दिवस – 28 दिसंबर 1885
- स्थान – गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज, ग्वालियाटैंक, मुंबई
- संस्थापक – एलन ऑक्टेवियन ह्यूम
- संस्थापक अध्यक्ष/सभापति – व्योमेश चंद्र बनर्जी
- सदस्य – 72 सदस्यों ने भाग लिया जिसमें ज्यादातर पत्रकार व वकील थे, जिनमें प्रमुख थे दादा भाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, दिनशा ई० वाचा आदि। इनमें से 10 से अधिक प्रतिनिधि उत्तर प्रदेश से थे।
- ए० ओ० ह्यूम १८८५ में कांग्रेस के सचिव महामंत्री निर्वाचित हुए पर १९०६ तक रहे।
- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन १८८५ में सैन्य व्यय में कटौती, कपड़ों पर आयात कर बढ़ाना जैसे प्रस्ताव पारित हुए।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में ‘कांग्रेस’ शब्द दादा भाई नौरोजी के सुझाव पर रखा गया था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना के उद्देश्य :
- लोकतांत्रिक तरीके से राष्ट्र हित में आंदोलन चलाना।
- भारतीयों को राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित करना।
- उपनिवेशवादी विचारधारा का विरोध करना।
- लोगों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत करना।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (Bhartiya Rashtriya Congress) के कुछ महत्वपूर्ण अधिवेशन
कांग्रेस द्वितीय अधिवेशन: 1886
- स्थान – कोलकाता
- अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
- इस अधिवेशन में सुरेंद्रनाथ बनर्जी की संस्था इंडियन एसोसिएशन / इंडियन नेशनल कॉन्फ्रेंस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हो गया।
- डफरिन ने गार्डन पार्टी दी जिसमें सुरेंद्रनाथ बनर्जी शामिल नहीं हुए।
- द्वितीय अधिवेशन में उत्तर प्रदेश के कुल 74 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
तृतीय अधिवेशन: 1887
- स्थान – मद्रास
- अध्यक्ष – बदरुद्दीन तैयब जी ( प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष मुसलमानों से कांग्रेस में शामिल होने का आग्रह किया )
- आम लोगों से कांग्रेस में शामिल होने की अपील की गई।
- अंग्रेज अधिकारियों की कटु आलोचना प्रारंभ हुई।
- कांग्रेस का संविधान लिखा गया।
चतुर्थ अधिवेशन: 1888
- स्थान – इलाहाबाद
- अध्यक्ष – जॉर्ज यूले ( एक अंग्रेज की अध्यक्षता में पहला अधिवेशन)
- लॉर्ड डफरिन ने यह कह कर कॉन्ग्रेस का मजाक उड़ाया कि ” कॉन्ग्रेस सूक्ष्मदर्शी अल्पसंख्यकों की संस्था है”। सर सैयद अहमद खान और बनारस के राजा शिव प्रसाद सितारे हिंद ने इलाहाबाद अधिवेशन का विरोध किया।
- सर सैयद अहमद खान ने 1888 में यूनाइटेड इंडियन पैट्रियोटिक एसोसिएशन की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य लोगों को कॉन्ग्रेस से दूर रखना था।
- 1889 में लंदन में कॉन्ग्रेस की British Committee of India की स्थापना विलियम डिग्बी की अध्यक्षता में हुई और भारतीय मामलों से अंग्रेजों को अवगत कराने के लिए ‘India’ नामक साप्ताहिक पत्र निकाला गया।
पांचवा अधिवेशन : 1889
- स्थान – मुंबई
- अध्यक्ष – विलियम वेडरबर्न
- लंदन में कॉन्ग्रेस के प्रचार का परिणाम यह हुआ कि इस अधिवेशन में चार्ल्स बैडला शामिल हुए।
छठवां अधिवेशन: 1890
- स्थान – कोलकाता
- अध्यक्ष – फिरोजशाह मेहता
- कोलकाता यूनिवर्सिटी की पहली महिला स्नातक कादम्बिनी गांगुली ने इस अधिवेशन को संबोधित किया।
बारहवां अधिवेशन: 1896
- स्थान – कलकत्ता
- अध्यक्ष – रहीमतुल्ला सयानी
- पहली बार बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखित ‘वंदे मातरम’ रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा गाया गया।
सत्रहवां अधिवेशन: 1901
- स्थान – कोलकाता
- अध्यक्ष – दिनशा ई० वाचा
- पहली बार गाँधी जी ने कॉन्ग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया।
22 वां अधिवेशन :1906
- स्थान – कोलकाता
- अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
- कॉन्ग्रेस के मंच से पहली बार ‘स्वराज’ की बात की गई।
23 वां अधिवेशन: 1907
- स्थान– सूरत
- अध्यक्ष – रासबिहारी बोस
- कॉन्ग्रेस का नरम और गरम दल में विभाजन हुआ।
27 वां अधिवेशन: 1911
- स्थान – कोलकाता
- अध्यक्ष – D. N. Dar
- पहली बार राष्ट्रगीत ‘जन गण मन…..’ गाया गया।
28 वां अधिवेशन : 1912
- स्थान – बांकीपुर ( बिहार )
- अध्यक्ष – आर० एन० मधुलोककर
- इस अधिवेशन में कांग्रेस ने ए० ओ० ह्यूम को अपना जन्मदाता / पिता घोषित किया।
36 वां अधिवेशन: 1915
- स्थान -मुंबई
- अध्यक्ष – लॉर्ड वेलिंगटन ( मुंबई गवर्नर ) ने भाग लिया।
32 वां अधिवेशन : 1916
- स्थान – लखनऊ
- अध्यक्ष – अंबिका चरण मजूमदार कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लखनऊ पैक्ट हुआ।
- तिलक ने कहा “स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा”।
33 वां अधिवेशन: 1917
- स्थान – कोलकाता
- अध्यक्ष – एनी बेसेंट प्रथम महिला अध्यक्ष बनीI
34 वां अधिवेशन :1918
- स्थान – मुंबई
- अध्यक्ष – हसन इमाम
- कांग्रेस का दूसरा विभाजन हुआ
36 वां अधिवेशन :1920
- स्थान – कोलकाता
- अध्यक्ष – लाला लाजपत राय
- गांधी जी द्वारा प्रस्तावित असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव स्वीकृत हो गया।
- 1920 के ही नागपुर में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में मोहम्मद अली जिन्ना ने कांग्रेस छोड़ दिया।
40 वां अधिवेशन: 1924
- स्थान – बेलगांव
- अध्यक्ष – महात्मा गाँधी प्रथम और अंतिम बार कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष बने।
41 वां अधिवेशन: 1925
- स्थान – कानपुर
- अध्यक्ष – सरोजिनी नायडू प्रथम भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनी।
43 वां अधिवेशन: 1927
- स्थान – मद्रास
- अध्यक्ष – डॉक्टर एम० ए० अंसारी
- साइमन कमीशन का बहिष्कार का निर्णय
45 वां अधिवेशन :1929
- स्थान – लाहौर
- अध्यक्ष – जवाहरलाल नेहरू
- पूर्ण स्वराज की मांग की गई पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने और 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गयाI
- 31 दिसंबर 1929 की रात्रि को इंकलाब जिंदाबाद के नारों के बीच रावी नदी के तट पर भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक तिरंगा झंडा फहराया गया।
31 दिसंबर 1929 की रात्रि को ” इंकलाब जिंदाबाद ” के नारों के बीच रावी नदी के तट पर भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक, जवाहरलाल नेहरू द्वारा फहराया गया तिरंगा झंडा ।
50 वां अधिवेशन :1937
- स्थान –फैजपुर
- अध्यक्ष –जवाहर लाल नेहरू
- पहला अधिवेशन जो किसी गांव में हुआ।
51 वां अधिवेशन :1938
- स्थान – हरिपुरा (गुजरात)
- अध्यक्ष – सुभाष चंद्र बोस
- राष्ट्रीय नियोजन समिति बनी।
52 महाधिवेशन :1939
- स्थान –त्रिपुरी
- अध्यक्ष –सुभाष चंद्र बोस
- यहाँ सुभाष चंद्र बोस ने इस्तीफा दे दिया और फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। बाद में डा० राजेंद्र प्रसाद अध्यक्ष बनाए गए।
53 वां अधिवेशन :1940
- स्थान – रामगढ़
- अध्यक्ष –अबुल कलाम आजाद
- सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ।
- 1940 से 1946 के बीच कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ। इस समय कांग्रेस के अध्यक्ष अबुल कलाम आजाद थे, जो आज़ादी से पहले सबसे लंबे समय तक के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
54 अधिवेशन : 1946
- स्थान – मेरठ
- अध्यक्ष – आचार्य जेबी कृपलानी
- 15 अगस्त 1947 आजादी के समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे I
55 वां अधिवेशन : 1947
- स्थान – दिल्ली
- अध्यक्ष – डॉ राजेंद्र प्रसाद आजादी के बाद अध्यक्ष बनेI
आजादी से पहले उत्तर प्रदेश में होने वाले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन:
क्रम सं० | अधिवेशन वर्ष | स्थान | अध्यक्ष |
1. | 1888 | इलाहाबाद | जॉर्ज यूल |
2. | 1892 | इलाहाबाद | व्योमेश चंद्र बनर्जी |
3. | 1899 | लखनऊ | रमेश चंद्र दत्त |
4. | 1905 | बनारस | गोपाल कृष्ण गोखले |
5. | 1910 | इलाहाबाद | विलियम वेडरबर्न |
6. | 1916 | लखनऊ | अंबिका चरण मजूमदार |
7. | 1925 | कानपुर | सरोजिनी नायडू |
8. | 1936 | लखनऊ | जवाहरलाल नेहरू |
9. | 1946 | मेरठ | जे बी कृपलानी |